नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक नयी याचिका दायर कर राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाने की मांग की गयी है। यह याचिका राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने और चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से दायर की गयी है। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में केंद्र को भ्रष्टाचार और सांप्रदायीकरण के खतरे से निपटने के लिये कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गयी।
याचिका में कहा गया, ‘‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2(एच) के तहत एक ‘लोक प्राधिकार ’ घोषित किया जाये। जिससे उन्हें लोगों के लिये पारदर्शक और जवाबदेह बनाया जा सके और चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाया जा सके।’’ जनहित याचिका में निर्वाचन आयोग से आरटीआई अधिनियम और राजनीतिक दलों से जुड़े अन्य कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिये निर्देश देने की मांग की गयी। याचिका में यह भी मांग की गयी है कि अगर वे इनका पालन करने में विफल रहते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाये।
याचिका में कहा गया, ‘‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2(एच) के तहत एक ‘लोक प्राधिकार ’ घोषित किया जाये। जिससे उन्हें लोगों के लिये पारदर्शक और जवाबदेह बनाया जा सके और चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाया जा सके।’’ जनहित याचिका में निर्वाचन आयोग से आरटीआई अधिनियम और राजनीतिक दलों से जुड़े अन्य कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिये निर्देश देने की मांग की गयी। याचिका में यह भी मांग की गयी है कि अगर वे इनका पालन करने में विफल रहते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाये।