रंगारंग रहा लिटरेरिया 2018, प्रेम मोदी को निनाद सम्मान और विनय वर्मा को रवि दवे सम्मान

कोलकाता : नीलाम्बर कोलकाता द्वारा आयोजित लिटरेरिया का समापन साहित्य, संस्कृति और कला के तमाम रंगों को बिखेरते हुए हुआ। बी.सी.राय ऑडिटोरियम, प्रेम मोदी को निनाद सम्मान और विनय वर्मा को रवि दवे सम्मान प्रदान किया गया।
इसके पूर्व तीसरे और अन्तिम दिन की शुरुआत कोलकाता में संवाद के द्वितीय सत्र से हुई । संवाद का विषय था , “आज के साहित्य में स्त्री और आज का स्त्री साहित्य । ” सत्र के प्रमुख वक्ता थे संतोष चतुर्वेदी , लवली गोस्वामी , अनुराधा सिंह और श्रद्धांजलि सिंह । विषय पर अनुराधा सिंह कहती हैं कि आज भी स्त्री के प्रति समाज का बरताव दोयम दर्जे़ का है , लेकिन साहित्य में उसे अतिशय करुणा या महात्म्य के साथ लिखा जा रहा है । यह स्त्री के मौजूदा संघर्ष का दस्तावेजीकरण है । संतोष चतुर्वेदी अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि उनका जीवन प्रवासी का जीवन होता है ।श्रद्धांजलि सिंह के शब्दों में वर्तमान स्त्री ने मनुष्यता के विमर्श के रुप में अपनी पहचान बनाई है । लवली गोस्वामी ने साहित्य में स्त्री की भूमिका को बहुत बेवाकी के साथ रेखांकित किया।सत्र का संचालन निशांत ने किया।


तृतीय संवाद सत्र सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. शंभुनाथ की अध्यक्षता में ‘आज की आलोचना के प्रतिमान ‘ विषय पर आयोजित थी। शंभुनाथ ने आलोचना के तमाम प्रतिमानों पर अपनी बात रखी और यह भी कहा कि आलोचना सिर्फ़ रचना से प्रतिमान ग्रहण नहीं कर सकती । आलोचक राजेंद्र कुमार के शब्दों में आलोचना रचना का समानांतर रुप है । जबकि कवि नरेन्द्र जैन ने अपने वक्तव्य में बड़ी प्रखरता से कहा कि एक आलोचक का पहले एक साहित्यकार होना आवश्यक है । आलोचक वेदरमण ने कहा कि आलोचना सिद्धांत निर्माण का कार्य करती है।इस सत्र का संचालन पीयूष कांत राय ने किया।


संवाद सत्र के तत्पश्चात प्रतिमा सिंह , आस्था मांदले और ममता शर्मा के गीतों से सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं समापन समारोह की शुरुआत हुई ।थीम कोलाज़ के अंतर्गत वरिष्ठ कवि राजेश जोशी की कविता पर हावड़ा नवज्योति के बच्चों ने खास प्रस्तुति की । एक दूसरे कविता कोलाज़ में नीलांबर की टीम द्वारा तैयार वरिष्ठ कवि अष्टभुजा शुक्ल की कविता ‘मैं स्त्री ‘ पर कोलाज़ प्रस्तुत किया गया । प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं नृत्यांगना रश्मि बन्दोपाध्याय और मौसुमी दे ने कविताओं पर बेहद सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया । शाम के समापन सत्र में सुप्रसिद्ध नाट्यकर्मी एवं अभिनेता विनय वर्मा द्वारा निर्देशित नाटक ‘मैं राही मासूम ‘ का शानदार मंचन किया गया । इस अवसर पर फिल्म पंचलैट के निर्देशक प्रेम मोदी को निनाद सम्मान एवं विनय वर्मा को रवि दवे सम्मान से सम्मानित किया गया । धन्यवाद ज्ञापन विमलेश त्रिपाठी ने किया।तीन दिवसीय इस साहित्य उत्सव को साहित्यप्रेमियों ने खूब सराहा।


नीलांबर द्वारा आयोजित लिटरेरिया 2018 के दूसरे दिन गत 1 दिसंबर के कार्यक्रम की शुरुआत संवाद सत्र के साथ किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ऋतुराज ने की। कविता में राजनीतिक मुहावरे और अनुभव का सवाल विषय पर अष्टभुजा शुक्ल , गीत चतुर्वेदी और ऋतुराज ने बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखे। गीत चतुर्वेदी ने कविताओं में राजनीतिक मुहावरों को निजी व्यक्तित्व से प्रभावित होने की बात कही।
चर्चा के दौरान कवि ऋतुराज ने आज के राजनीतिक परिदृश्य में कवियों के सहभागिता की कमी पर प्रकाश डाला। अष्टभुजा शुक्ल ने कविताओं में विदेशी कवियों और कविताओं के दखल पर भी बातें की और कवियों को अपने देश में कविता की संभावनाओं को तलाशने की बात कही । दर्शक दीर्घा से कई प्रश्न आए जिसका उत्तर इन कवियों ने बड़े धैर्य के साथ दिया। ममता पांडेय ने इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक सचालन किया ।
संवाद सत्र के बाद इस दिन का मुख्य आकर्षण कविता पर्व का आरम्भ हुआ जिसमें देश भर के बीस कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया ।कविता पर्व के प्रथम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ऋतुराज ने की । इस सत्र में राजेंद्र कुमार, कात्यायनी , एकांत श्रीवास्तव , प्रेमशंकर शुक्ल , अनुराधा सिंह , स्मिता सिन्हा , ज्योति शोभा , द्वारिका प्रसाद उनियाल , कुमार मंगलम और अंचित ने अपनी कुछ बेहतरीन कविताओं के साथ शिरकत की ।आनंद गुप्ता ने मंच संचालन किया ।


कविता पर्व के द्वितीय सत्र में वरिष्ठ कवि अष्टभुजा शुक्ल की अध्यक्षता में सुबोध सरकार , अष्टभुजा शुक्ल , संतोष चतुर्वेदी , गीत चतुर्वेदी , लवली गोस्वामी , यतीश कुमार , नताशा और पराग पावन ने अपनी रचनाओं का शानदार पाठ किया । अष्टभुजा शुक्ल की कविताओं पर कोलाज की एक शानदार प्रस्तुति की गई जिसमें ममता पांडेय, नीलू पांडेय, ऋतेश पांडेय, विशाल पांडेय, विजय शर्मा, पूनम सिंह स्मिता गोयल एवं दीपक ठाकुर ने शानदार प्रस्तुति दी.
इसके बाद कहानी पर्व में कार्यक्रम ‘एक सांझ कहानी की ‘ के अंतर्गत शाम 6 बजे मन्नू भंडारी की कहानी ‘ अनथाही गहराईयाँ ‘ पर तैयार की गयी फिल्म की स्क्रीनिंग दर्शकों के लिये की गयी , जबकि मन्नू भंडारी की सुपुत्री रचना यादव ने अपनी मनमोहक शैली में इसी कथा का पाठ सबके समक्ष किया । दर्शकों को इस नये प्रयोग ने बहुत प्रभावित किया।
‘लिटरेरिया 2018’ का तीन दिवसीय कार्यक्रम संस्था ‘नीलाम्बर कोलकाता’ के तत्वाधान में आरम्भ हुआ। गत 30 नवम्बर से 2 दिसम्बर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में क कविता , कहानी , समालोचना , नृत्य , गीत, आवृत्ति, नाटक , फिल्म , यंत्र वादन और बतकही जैसी तमाम विधाओं के रंगों को एक मंच पर समेटने की कोशिश की गयी।


कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि अब्दुल बिस्मिल्लाह के साथ विशिष्ट अतिथि पीसी सेन, अष्टभुजा शुक्ल, डॉ शंभुनाथ, जे के साहा और गणमान्य अतिथियों ने साथ दीप प्रज्वलन के साथ किया। इसके बाद एक वीडियो के द्वारा इस वर्ष के दिवंगत साहित्यकारों को श्रद्धांजलि दी गयी। उसके बाद बाल बांसुरी वादक कुमार अनिर्बन रॉय ने मनमोहक बांसुरी वादन और मैत्रेयी रॉय ने शास्त्रीय गीत प्रस्तुत किया।
सेमिनार का पहला सत्र शुरु हुआ , जिसका विषय था ,”स्त्री विमर्श -उपलब्धियां और भटकाव “।इस सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह ने की। प्रमुख वक्ता रहीं कात्यायनी , प्रियंकर पालीवाल , राजश्री शुक्ला और दीबा नियाज़ी।संचालन अल्पना नायक ने किया । कात्यायनी ने जहां कविताओं में स्त्री विमर्श को तलाशा शोधकर्ता दीबा नियाज़ी धर्म को इसके खिलाफ साजिश करते हुए देखती है और राजनीति में महिलाओं की कम भागीदारी को भी इससे जोड़ती हैं। वहीं प्रोफेसर राजश्री शुक्ला जी महिलाओं और लड़कियों के आगे बढ़ने के छोटे-छोटे संघर्षों को भी स्त्री विमर्श की सफलता के रूप में देख रही हैं। कुल मिलाकर स्त्री विमर्श का यह सत्र बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक रहा। । प्रियंकर पालीवाल ने भी स्त्री विमर्श को आगे बढ़ाते हुए उनके आत्मविश्वास पर चर्चा की।


इस सत्र की संचालिका अल्पना नायक ने भी महिलाओं के द्वारा छोटी-छोटी परंपराओं को निभाते जाने को भी स्त्री विमर्श से जोड़ा।
सत्र के बाद दस मिनट के एक मोनो एक्ट ‘ रज्जो ‘ का मंचन किया गया जिसमें कलाकार दीपक ठाकुर के भावपूर्ण अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा।  सेमिनार का दूसरा सत्र शुरु हुआ , जिसका विषय था , “ स्त्री विमर्श की संभावनाएं “। सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ शंभुनाथ ने इस सत्र की अध्यक्षता की । ममता कालिया , गरिमा श्रीवास्तव , अलका सरावगी और रजनी पांडेय ने इस विषय पर खुल कर अपने वक्तव्य रखे।
इसके बाद सेमिनार के दूसरे सत्र की चर्चा का प्रारंभ वागर्थ के संपादक एवं प्रसिद्ध आलोचक डॉ शंभुनाथ की अध्यक्षता में हुई। सबसे पहले शोधकर्ता रजनी पांडेय ने इतिहास में स्त्रियों की जगह को तलाशा वहीं गरिमा चौधरी ने वैश्विक स्तर पर स्त्रियों के साथ हो रहे यौन अत्याचारों पर प्रकाश डालते हुए स्त्री विमर्श के दायरे को बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि स्त्री विमर्श से पहले स्त्री का मनुष्य के रूप में स्थापित होना जरूरी है। यह समाज स्त्री को मनुष्य समझे इसके लिए प्रयासरत होना होगा। लेखिका अलका सरावगी ने अपने वैश्विक स्तर पर स्त्री विमर्श पर चर्चा की। जहां उन्होंने बेल्जियम जैसे प्रगतिशील देश का जिक्र करते हुए कहा कि वहाँ की 8 प्रतिशत महिलाएं आज भी घरेलू हिंसा का शिकार हैं। वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया ने बच्चियों पर यौन हिंसा पर अपनी गहरी चिंता जाहिर की। डॉ शंभुनाथ ने स्त्री स्वतंत्रता पर बेबाकी से विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं को तय करना होगा कि स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है या सुरक्षा?उन्होंने स्त्रियों के शोषण के लिए पूंजीवाद की तीव्र भर्त्सना की।
संचालिका इतु सिंह ने सफलतापूर्वक सत्र का संचालन किया। लेखिका गरिमा श्रीवास्तव जी की किताब ‘ देह ही देश’ का लोकार्पण किया गया और उसके बाद अलका सरावगी , वेद रमण पांडेय और इतु सिंह ने इस किताब पर विस्तृत चर्चा की। काफी रचनात्मक और गंभीर विमर्शों के बाद की यह शाम दिलकश ग़ज़लों के नाम रही जिसमें मुश्ताक अंजुम, शमीम अंजुम वारसी, शहनाज रहमत, शैलेश गुप्ता, विनोद कुमार गुप्ता, अहमद मेराज, फिरोज मिर्जा, विजय शर्मा ने ग़ज़ल पाठ के द्वारा शमां बाँध दिया। गजल सत्र का संचालन युवा शायरा रौनक अफरोज ने किया। इस दिन कुंवर रवींद्र के कविता पोस्टर की प्रदर्शनी में भी लोगों ने जमकर शिरकत की एवं इसे खूब सराहा।

(रपट :आनन्द गुप्ता )

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