हमारे देश में जहां आज भी करोड़ो लोगों की पहुँच में शौचालय नहीं हैं, ऐसे में हमारे देश को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए हमे ‘एक गाँव, एक घर’ जैसे सूक्ष्म स्तर से कार्य करने की आवश्यकता है।
इसी दिशा में मुंबई के किशिनचंद चेलारम महाविद्यालय के छात्रो ने सभी को प्रभावित करते हुये पलघर जिले के कारवाले गाँव में 107 शौचालय निर्मित किए हैं जिसमें गाँव में रह रहे हर परिवार के लिए एक शौचालय है।
इस कार्य का आरंभ महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के द्वारा किया गया। 2005 में महाविद्यालय की एनएसएस यूनिट ने एक विद्यालय के लिए शौचालय निर्माण के लिए प्रथम बार कैंप लगाया, तब उन्होंने पाया कि गाँव में एक भी घर में शौचालय नहीं हैं; तब इस गाँव की जरूरत को समझते हुए विद्यार्थियों ने अपने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का निश्चय किया।
“हमारे लिये ये कितनी आम बात है, ऐसे में बिना शौचालय गाँव वालों की दुर्दशा हमारी सोच के परे थी। गाँव की महिलाओं व युवतियों को नित्यकर्म करने के लिए या तो सूर्योदय के पहले उठना पड़ता या फिर रात तक इंतज़ार करना पड़ता था। कई किशोरियों ने माहवारी शुरू होने पर विद्यालय छोड़ दिया था क्योंकि शौचालय उपलब्ध नहीं थे,” सिमरन बृजवानी (केसी. कॉलेज की छात्रा व एनएसएस स्वयसेवी) बताती हैं।
लगातार कई बार गाँव में जाते रहने के कारण गाँव वालों का विश्वास हासिल करने के बाद छात्रों ने शौचालय व स्वच्छता की महत्ता व आवश्यकता के बारे में गाँव में बात करना शुरू किया । शुरुआत में गाँव के लोगों ने इतना उत्साह नहीं दिखाया पर धीरे-धीरे छात्र गाँव वालों को हर घर में शौचालय की जरूरत के बारे में समझाने में सफल हो गए।
छात्रों ने गाँव को खुले में शौच से मुक्त करने का संकल्प लिया व साथ ही उन्हें बेहतर सुविधाये उपलब्ध कराने का लक्ष्य निश्चित कर लिया। छात्रों के इस अभियान ने गति पकड़ी और वर्ष 2015 में छात्रों ने गाँव में 49 शौचालय बनाए। 2016 में 300 से अधिक स्वयंसेवी छात्रों ने एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ सतीश कोल्टे के निर्देशन में 67 शौचालय का निर्माण किया।
अब छात्र प्रत्येक रविवार को बचे निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए गाँव आते हैं । इस प्रोजेक्ट के अंतिम 3 महीनों में छात्र सुबह व शाम की पारियों में बारी-बारी से कार्य कर रहे हैं व साथ ही रोजाना महाविद्यालय भी जा रहे हैं।
“हम में से अधिकतर को यह नहीं पता था कि शौचालय का निर्माण कैसे होता है। हमारे सीनियर व प्रोग्राम मैनेजर ने हमें सब कुछ बिलकुल शुरू से सिखाया। सोक-पिट का गड्ढा खोदने से लेकर शौचालय की दीवार बनाने व उस पर रंग करने तक सभी कुछ हमने किया यह एक शानदार अनुभव था, ” सिमरन कहतीं हैं।
छात्रों ने गाँव में शिक्षा के प्रति भी जागरूकता फैलाने का कार्य गाँव में एक समुदाय भवन का निर्माण कर व वहाँ पठन सामग्री वितरित कर किया। अन्य प्रयासों में साथ ही इन छात्रों ने गाँव के किसानों को एक किसान बाजार स्थापित करने, महिलाओं को कबाड़ से उपयोगी वस्तुए बनाने का प्रशिक्षण व उनके स्वास्थ्य परीक्षण भी किए।
“एनएसएस यूनिट का आदर्श वाक्य है, ‘मैं नहीं,पहले आप’! खुद की जरूरतों को दरकिनार करके दूसरों की आवश्यकता का ख्याल रखना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। हमारा कार्य उसी सीख से प्रेरित है। इस पूरे कार्य में हमें गाँव वालों का जबरदस्त सहयोग मिला वे हमारे लिए खाना बनाते, हमारे पीने के लिए साफ पानी का इंतजाम करते व जहां भी संभव होता हमारी मदद करते। गाँव में करीबन 100 परिवार हैं और हमने सभी के लिए शौचालय का निर्माण किया है यह एक शानदार एहसास है, ” सिमरन प्रफुल्लित होते हुए बताती हैं।
(साभार – द बेटर इंडिया)