मुक्ति की आकांक्षा का लेखन है प्रेमचंद का साहित्य-प्रो.अमरनाथ शर्मा

मिदनापुर : विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से ‘प्रेमचंद की प्रासांगिकता’ विषय पर प्रेमचंद जयंती का आयोजन किया गया। इस मौके पर कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो. अमरनाथ शर्मा ने कहा कि प्रेमचंद की सबसे बड़ी देन है कि उन्होंने घीसू और माधव के जरिए समाज के यथार्थ को प्रस्तुत किया है। उनका लेखन मुक्ति की आकांक्षा का लेखन है। विद्यासागर विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष (कला व वाणिज्य) प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य व्यापक होने के कारण उनके साहित्य में प्रेम, क्षमा, ममत्व आदि सभी का समावेश है और इसलिए प्रेमचंद का साहित्य क्लासिक है। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य मानव-जीवन की समग्रता का आख्यान है। प्रो. प्रमोद प्रसाद ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने लेखन से समाज को एक नई दृष्टि प्रदान की है। विभाग की ओर से प्रेमचंद केंद्रित ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सलोनी शर्मा, रूपेश कुमार यादव और गुलनार बानो दल को मिला। इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में विनय प्रसाद, राजकुमार मिश्रा, राहुल गौड़, अभिलक्ष्य आनंद, श्रद्धा उपाध्याय और विनीता बेहरा आलेख पाठ किया। वहीं अनु तिवारी, मधु सिंह और रूक्सार परवीन ने स्वरचित कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर स्वागत गीत पंकज सिंह ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सफल संचालन रिया श्रीवास्तव ने किया। प्रो. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि प्रेमचंद ने किसानों की समस्या का यथार्थ चित्रण अपने साहित्य में किया है और हाशिए के समाज को अपने लेखन का केंद्रीय विषय़ बनाया है।

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