तमिलनाडु के मदुरई शहर में मीनाक्षी मंदिर है। यह मंदिर अपनी बनावट की वजह से दुनियाभर में मशहूर है। यहां का गर्भगृह लगभग 3500 साल पुराना माना जाता है। ये मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव सुंदरेश्वर के रूप में देवी पार्वती (मीनाक्षी) से विवाह करने के लिए पृथ्वी पर यहां आए थे। मंदिर उसी जगह स्थित है।
करीब 45 एकड़ में फैला है ये मंदिर
यहां के विशाल प्रांगण में सुंदरेश्वर (शिव मंदिर समूह) तथा बाईं ओर मीनाक्षी देवी का मंदिर है। शिव मंदिर समूह में भगवान शिव की नटराज मुद्रा में आकर्षक प्रतिमा है। यह प्रतिमा एक रजत वेदी पर स्थित है। बाहर अनेक शिल्प आकृतियां हैं, जो केवल एक-एक पत्थर पर निर्मित हैं, साथ ही गणेशजी का मंदिर है। 45 एकड़ में फैले इस मंदिर के सबसे छोटे गुंबद की ऊंचाई 160 फीट है। दो मुख्य मंदिरों सुंदरेश्वर और मीनाक्षी के अलावा भी कई दूसरे मंदिर हैं, जहां भगवान गणेश, मुरूगन, लक्ष्मी, रूक्मणी, सरस्वती देवी की पूजा होती है।
बना है सोने का कमल
मंदिर में एक तालाब भी है ‘पोर्थ मराई कुलम’ जिसका मतलब होता है सोने के कमल वाला तालाब। सोने का 165 फीट लंबा और 120 फीट चौड़ा कमल बिल्कुल तालाब के बीचों-बीच बना हुआ है। भक्तों का मानना है कि इस तालाब में भगवान शिव का निवास है। मंदिर के अंदर खंभों पर भगवान शिव की पौराणिक कथाएं लिखी हुई हैं और आठ खंभों पर देवी लक्ष्मी जी की मूर्ति बनी हुई है। इसके अलावा यहां एक बहुत ही बड़ा और सुंदर हाल है, जिसमें 1000 खंभे लगे हुए हैं। इन खंभों पर शेर और हाथी बने हुए हैं।
170 फीट ऊंचा है गोपुरम
मंदिर में अंदर जाने के लिए 4 मुख्य द्वार (गोपुरम) हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं। मंदिर में कुल 14 गोपुरम हैं। इनमें 170 फीट का 9 मंजिला दक्षिणी गोपुरम सबसे ऊंचा है। इन सभी गोपुरम में विभिन्न देवी-देवताओं एवं गंधर्वों की सुंदर आकृतियां बनी हैं। प्रति शुक्रवार को मीनाक्षीदेवी तथा सुंदरेश्वर भगवान की स्वर्ण प्रतिमाओं को झूले में झुलाते हैं, जिसके दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहते हैं।