- रेखा श्रीवास्तव
जब आती है जीवन में कोई खुशी या गम
मन करता है अपने मन की सारी बातें
करूँ तुमसे माँ
जब कोई अपनी माँ को माँ पुकारता है तो
मेरा भी मन करता है कि मैं भी पुकारूँ माँ
और पल भर में माँ मुझे सीने से लगा ले
जैसे लगा लिया करती थी वर्षों पहले
जब किसी की माँ करती है अपनी बेटी का इंतजार
तो मेरा भी मन करता है मेरी माँ भी करे मेरा इंतजार
और मैं जल्दी से उनसे मिलने जाऊँ
मुझे याद है आफिस जाने के लिए निकलती थी जब मैं
बस स्टैंड तक पहुँचाने आती थी तुम
बार-बार मना करने पर भी
मुझे बस पर चढ़ा कर टाटा-बायँ-बायँ करती रहती थी तुम
मेरी बस अगर आगे रुक जाती थी, तो माँ तुम भी रुक जाती थी
और हाथ हिलाती रहती थी माँ
और शाम को सबसे ज्यादा तुम ही करती थी मेरा इंतजार
कभी-कभी तो गली तक भी पहुँच जाती थी तुम माँ
मैं मना करती थी, कभी-कभी गुस्सा भी करती थी
क्यों परेशान होती हो माँ
पर आज मन करता है कि माँ तुम मुझे पहुँचाने आओ
और मेरा इंतजार भी करो माँ
जब कुछ पल मिलते हैं फुर्सत के
तो मोबाइल उठाकर मन करता है
कुछ बातें कर लूँ अपनी माँ से
फिर याद आता है माँ नहीं है अब हमारे पास
नहीं है उनका प्यार, नहीं है उनका दुलार
मेरा संसार सूना-सूना है माँ तुम्हारे बिना
मेरा आंगन सूना-सूना है माँ तुम्हारे बिना