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रेखा श्रीवास्तव
स्मार्ट मोबाइल की तरह
बढ़ गई है माँ की जिम्मेदारियाँ भी
उसे अब केवल जन्म देकर
बच्चियों की संख्या नहीं बढ़ानी है
उसे देना है अपनी बच्चियों को
समाज में जीने की सीख
अपने को मजबूत बनाने की सीख
केवल पढ़-लिख कर नहीं, हर क्षेत्र में
पहुँचने की सीख
सिंधु और साक्षी बनने की सीख
उसे देनी है केवल आगे बढ़ने की सीख नहीं
रोटी-रोजी की जुगाड़ के साथ
खुद को पहचानने की सीख
स्मार्ट मोबाइल की तरह
बढ़ गई है माँ की जिम्मेदारियाँ भी
बेटी को बताने के लिए कि
जिस हाथ में तुम पेंसिल पकड़ कर
लिखने की सीख सीखी थी
जरूरत पड़ने पर उसमें तीर-कमान
भी समायेंगे
जिस पाँव को तुमने ताल के साथ
नृत्य करने के लिए उठाया था
उसी से तुम हमला कर किसी को पटक सकती हो
अब तक बताया गया कि
तुम शारीरिक रूप से कमजोर हो
तुममें केवल जनने की क्षमता है
पर यह गलत है
हम अगर पैदा कर सकते हैं,
विकसित कर सकते हैं
तो हमें ही अधिकार है
कि हम ही ध्वंस करेंगे
पर हम ऐसा नहीं करेंगे
क्योंकि हमें खुद बढ़ना है
क्योंकि स्मार्ट मोबाइल की तरह
बढ़ गई है माँ की जिम्मेदारियाँ भी।।
(कवियत्री वरिष्ठ पत्रकार हैं)