कोलकाता : भारतीय भाषा परिषद में बनारस की संस्था ‘रूपवाणी’ ने बनारस की रामलीला को तुलसी के रामचरितमानस के संगीतात्मक गायन के साथ मूर्त कर दिया और दर्शक अभिभूत हो गए। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. केशरीनाथ त्रिपाठी ने कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में पहले भी रामलीला देखी है लेकिन यह प्रदर्शन अद्वितीय है। रामलीला के अलावा संस्कृत नाटककार भास के नाटक ‘पंचरात्रम्’ की भी नृत्य नाट्य के रूप में प्रस्तुति हुई। दोनों के निर्देशक प्रसिद्ध कलाकार व्योमेश शुक्ल ने कहा कि यह रामलीला लोक परंपरा और आधुनिकता का सामंजस्य है। उन्होंने महाभारत पर आधारित ‘पंचरात्रम्’ के संदर्भ में कहा कि यह नाटक महाभारत युद्ध न हो और किसी भी युग में कोई युद्ध न हो इसके कारण की खोज है। नाटकों पर चर्चा सत्र में भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ के अलावा कवि प्रियंकर पालीवाल और मृत्युंजय ने भाग लिया।
परिषद की अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने रूपवाणी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि परिषद का उद्देश्य भारतीय साहित्य की महान परंपरा को सामने लाना है। रूपवाणी के कलाकारों का अभिनंदन करते हुए उन्होंने कहा कि इन्होंने बिना किसी मानदेय के प्रस्तुति की है और उनके अभिनय ने कोलकाता वासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। परिषद की मंत्री बिमला पोद्दार ने धन्यवाद दिया।