हर साल गरीबी, कर्ज, सूखे की मार से सैकड़ों किसान आत्महत्या कर लेते हैं। उनकी मौत पर संसद में शोर-शराबा होता है, हम-आप सोशल मीडिया पर शोक मना लेते हैं और किसानों के हालात जस के तस बने रहते हैं। लेकिन बनारस की कुछ महिलाओं ने सिर्फ दुख न जताकर किसानों के लिए कुछ करके दिखाया है। हाईब्रीड बीजों, रासायनिक दवाओं व उर्वरकों के दामों में बेतहाशा वृद्धि और महंगाई की मार को कम करने के लिए महिलाओं ने ‘अपना बीज बैंक’ बना डाला। किसानों की मदद के लिए महिलाओं ने ये बैंक शुरू किया है। इस बीज बैंक में देसी प्रजाति के सभी प्रकार के फल, सब्जी, अनाज, दलहनी और तिलहनी आदि उन्नतशील बीजों का संग्रह है। बीज बैंक से किसान बीज विनिमय के माध्यम से बिना पैसे के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
ऐसे काम करता है ये बैंक – ‘अपना बीज बैंक’ की खासियत ये है कि कोई भी किसान बैंक सदस्य बनकर मुफ्त में बीज प्राप्त कर सकता है। इसके लिए किसान को बदले में दूसरी प्रजाति का बीज बैंक में जमा करना होता है या फसल तैयार होने के बाद किसान को बीज के एवज में बीज देना पड़ता है।
बैंक के माध्यम से किसानों को हाईब्रीड, नपुंसक बीजों, रासायनिक दवाओं और रासायनिक उर्वरकों से ज़मीन, पानी और स्वास्थ्य आदि पर पड़ रहे बुरे प्रभाव बताकर जागरूक भी किया जाता है। किसानों को जैविक खेती, प्राकृतिक खेती जैसी कम लागत वाली खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस बीज बैंक के खुलने से किसान बहुत खुश हैं। बीज बैंक के खुलने से गांव के किसानों के चेहरे खिल गए हैं। किसानों का मानना है, कि ‘जो बीज हम बाजार से महंगे दामों पर खरीदते थे, वो जल्द ही खराब हो जाते थे। अब इस बैंक के माध्यम से हमें मुफ्त में बेहतर बीज मिलेंगे, जिससे हमारी खेती को नया आयाम मिलेगा और हमारी जिंदगी बदल जाएगी।’
महिलाएं चलाती हैं ‘अपना बीज बैंक’ – अपना बीज बैंक का संचालन महिला किसान समूह करता है। उन सबने खुद के जुटाए हुए पैसों से ये बैंक तैयार किया है। लोगों ने गांव की भलाई के लिए दुकान के लिए जगह दे दी थी। बैंक की नींव रखने वाली अनीता के मुताबिक, ‘किसानों की समस्या को ध्यान में रखकर इस बैंक को खोला गया है। इस बीज बैंक में भारतीय देसी प्रजाति के सभी फल, सब्जी, अनाज, दलहनी और तिलहनी वगैरह की उन्नतशील बीजों का संग्रह रहता है।’ अपने आप में अनोखा ये बीज बैंक फिलहाल किसानों के सामने खड़ी बीज समस्या का समाधान करेगा। खेती लगातार महंगे होते बीज के चलते बढ़ रही है, जिससे लागत को कम करने में इससे काफी मदद मिलेगी। दूसरी ओर उन्नतशील देसी बीज से पैदा अनाज, दालें और सब्जियां स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी लाभदायक होंगी।