नयी दिल्ली : उत्तराखंड स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), काशीपुर सरसों की चटनी, छतों पर कम खर्च में बगीचा लगाने की तकनीक, घास काटने की सस्ती मशीन जैसे उत्पाद बनाने वाले स्टार्टअप को तकनीकी और प्रबंधकीय प्रशिक्षण के साथ सफल उद्यमी बनने का रास्ता दिखा रहा है। राज्य के उधम सिंह नगर जिले में स्थित प्रबंधन संस्थान का कहना है कि इस पहल से जहां एक तरफ देश में उद्यमी तैयार होंगे, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड समेत देश में रोजगार सृजन और कृषि विकास तथा किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इस पहल के तहत प्रबंधन संस्थान ने देश में उद्यमियों को तैयार करने के लिये हाल ही में पालना (इनक्यूबेशन) केंद्र के रूप में उद्यमिता विकास और नवप्रवर्तन फाउंडेशन (एफआईईडी) का गठन किया है। इसकी शुरुआत करते हुए, संस्थान देश भर से कृषि क्षेत्र से जुड़े 40 स्टार्टअप का चयन कर उन्हें अपने उत्पादों के विपणन और भावी विकास के गुर सिखाने में जुटा है। इस बारे में संस्थान के निदेशक प्रोफेसर कुलभूषण बलूनी ने फोन पर ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘इस पहल का मकसद उत्तराखंड के साथ देश में उद्यमिता संस्कृति को बढ़ावा देना है। हमने फिलहाल कृषि, पर्यटन, दस्तकारी, आयुर्वेद और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत हमने कृषि क्षेत्र से की है।’’ उन्होंने कहा कि इसके लिये हमने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, कृषि मंत्रालय के साथ गठजोड़ किया है। साथ ही हम उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। एफआईईडी के प्रभारी प्रोफेसर सफल बत्रा ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘हमने इस दिशा में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), रफ्तार के तहत कृषि विभाग के साथ मिलकर पहला कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत देश भर से कृषि क्षेत्र में काम कर रहे 350 स्टार्टअप में से 40 का चयन कर उन्हें पालना केंद्र एफआईईडी में प्रशिक्षण देना शुरू किया है।’ उन्होंने बताया कि 20 अगस्त से शुरू यह कार्यक्रम दो महीने के लिये है। इस दौरान उन्हें प्रबंधकीय, तकनीकी प्रशिक्षण के साथ हरसंभव सहायता दी जाएगी। इसके लिये हर दिन बाहर से उद्यमियों और विशेषज्ञों को बुलाकर उन्हें जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है।
संस्थान, प्रशिक्षण के लिये चुने गये स्टार्टअप को 10,000 रुपये मासिक वजीफा भी दे रहा है। स्टार्टअप को प्रशिक्षण देने की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर बत्रा ने कहा, ‘‘इन लोगों ने पाचन क्रिया में उपयोगी बेहतर गुणवत्ता वाली हल्दी और सरसों की चटनी, घास काटने की सस्ती मशीन, गधी के दूध का साबुन, जैविक खेती, कम खर्च में छतों-बरामदों पर बगीचा लगाने की तकनीक जैसे उत्पाद बनाये, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि अब आगे क्या करना है? स्टार्टअप को यह नहीं पता कि उत्पादों का विपणन कैसे किया जाए? उन्हें इस प्रशिक्षण से आगे की तरक्की और सफल उद्यमी बनने का रास्ता मिलेगा।’’
इसके लाभ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये स्टार्टअप अगर क्षमता अनुसार काम करेंगे तो बड़ी संख्या में रोजगार सृजित होंगे। अगर इन्हीं 40 स्टार्टअप को लिया जाए तो इनके पूर्ण रूप से काम करने पर 4,000 तक रोजगार सृजित होने का अनुमान है। इसके साथ ही ये किसानों से सरसों या उनकी दूसरी उपज खरीदेंगे, उन्हें खेती की सस्ती तकनीक उपलब्ध कराएंगे, इससे किसानों को भी लाभ होगा और आय बढ़ेगी।’’ एक सवाल के जवाब में बत्रा ने कहा कि ये स्टार्टअप उत्तराखंड समेत 15 राज्यों से हैं और कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इनकी जरूरत के अनुसार इन्हें 5 लाख रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक का वित्तपोषण मिलेगा।