चंडीगढ़ – महान एथलीट मिल्खा सिंह का मानना है कि परालम्पिक एथलीट भी देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कारों और सम्मान के हकदार हैं।‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर मिल्खा ने कहा, ‘‘ये एथलीट भी देश के सर्वोच्च सम्मान और पुरस्कार के हकदार हैं क्योंकि ये उदाहरण है कि समाज कड़ी मेहनत, दृढ़ निश्चय और प्रतिबद्धता से क्या क्या हासिल कर सकता है। ’’ मरियप्पन थांगवेलु ने रियो परालम्पिक खेलों में पुरूषों की टी42 उंची कूद स्पर्धा में स्वर्ण, वरूण भाटी ने इसी स्पर्धा में कांस्य पदक और दीपा मलिक ने महिलाओं की एफ53 गोलाफेंक स्पर्धा में रजत और देवेंद्र झाझरिया ने पुरूष एफ46 भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। इसके बाद मांग उठ रही है कि परालम्पिक पदकधारियों को भी राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा जाये।
ओलंपिक पदक जीतने वाला खिलाड़ी स्वत: ही ओलंपिक वर्ष के दौरान खेल रत्न पुरस्कार के लिये क्वालीफाई कर लेता है लेकिन पैरालम्पियनों के लिये इस तरह की कोई नीति नहीं है। मिल्खा सिंह 1960 रोम ओलंपिक में करीब से कांस्य पदक से चूक गये थे। उन्होंने रियो परालम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को उनके प्रयास और सफल प्रदर्शन के लिये बधाई दी।
उन्होंने कहा, ‘‘2014 में मुझे भारतीय परालम्पिक समिति ने ‘स्पोर्ट्स फॉर डेवलपमेंट रन’ को हरी झंडी दिखाने के लिये आमंत्रित किया था और मैं उस दिन वहां परालम्पिक एथलीटों से मिलकर उनके उत्साह से काफी हैरान था। ’’