भारतीय भाषा परिषद के जन संचार माध्यम के स्नातकोत्तर अध्ययन केंद्र में पत्रकार, देश और सोशल मीडिया पर संगोष्ठी आयोजित की गयी। संगोष्ठी में आज के दौर में पत्रकारिता और सोशल मीडिया के बारे में चर्चा की गयी। संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार विश्वंभर नेवर ने कहा कि देश में हिंदी पत्रों के पाठकों में पहले से वृद्धि हुई है और पत्रकारिता भारत में आज भी एक बड़ी जिम्मेदारी लेकर खड़ी है। उसका काम देशहित और अभिव्यक्ति की आजादी का प्रहरी होना है। वरिष्ठ पत्रकार हरिराम पांडेय ने कहा कि पत्रकार को सबसे पहले अपने भीतर देशभाव लाना होगा और पत्रकारिता के लिए बौद्धिक स्वतंत्रता जरूरी है। हालांकि पत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा का प्रश्न भी महत्वपूर्ण है। संपादक जयकृष्ण वाजपेयी ने कहा कि टी. वी. के प्रसार के बावजूद हिंदी पत्रकारिता ने एक बड़ी भूमिका निभाई है और सोशल मीडिया में भी नागरिकों को अभिव्यक्ति का अवसर मिला है। हालांकि नकारात्मक चीजें सोशल मीडिया में ज्यादा स्थान घेर रही हैं। प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि सोशल मीडिया एक वैकल्पिक जगह है जिसे विपक्ष की भूमिका निभाना है और गलत प्रचारों से अपने को सुरक्षित रखना है। इस संबंध में सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं में जागरण की जरूरत है। जनसंचार विभाग (एम.ए.) के विद्यार्थियों ने कुछ सवाल रखे जिनका जवाब अतिथि वक्ताओं ने दिया।
अध्यक्षीय भाषण देते हुए डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि पहले पत्रकार समाज सुधारक, चिंतक और देश के नेता भी होते थे और सोशल मीडिया में स्थिति ये है कि पत्रकार का विलोप हो गया है। सोशल मीडिया वस्तुतः आभासी सामाजिक मीडिया है जहाँ यथार्थ से अधिक उत्तेजनात्मकता की प्रधानता है। इसका दुरुपयोग सूचना के राजनैतिक कारखाने कर रहे हैं। जनसंचार विभाग के शैक्षिक समन्वयक विनय बिहारी सिंह ने संचालन किया जबकि परिषद की मंत्री बिमला पोद्दार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।