पुराने पांच सौ और हज़ार के नोट बंद हो जाने से जहाँ आम जनता को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है वहीँ आम भारतियों के बीच संयम और सोहार्द की कहानियां भी सामने आ रही है। देश में काले धन के खिलाफ इस जंग में अपना पूरा योगदान करते ऐसे ही तीन कहानियां आज हम आपके सामने ला रहे है।
मोदी की नोटबंदी को चायवाले ने किया हिट, ऑनलाइन पेमेंट पर दे रहा चाय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ये बात कही थी कि वो बचपन में चाय की दुकान चलाते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद नोटबंदी को मोदी की सबसे बड़ी घोषणा के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इस घोषणा से हुई परेशानी को देखते हुए दिल्ली के एक चाय वाले ने अनोखी पहल की है।
दिल्ली के आरके पुरम इलाके में चाय की दुकान चलाने वाला शख्स अपने सभी ग्राहकों से चाय के लिए खुले पैसे मांगने की बजाए उनसे ऑनलाइन पैसे ले रहा है।चाय की दुकान चलाने वाले मोनू का कहना है कि वो सात रुपये से कम का भी पेमेंट ऑनलाइन ही ले रहा है क्योंकि वो सरकार की नोटबंदी का समर्थन करता है। मोनू के यहां चाय पीने वाले एक कस्टमर का कहना है कि एक चायवाले की ये पहल काबिलेतारीफ है, क्योंकि फिलहाल कैश और छुट्टे पैसों की लोगों के पास बेहद कमी है। बता दें कि पिछले कई दिनों से देशभर में बैंकों से लेकर एटीएम के बाहर लंबी कतारें लगी हुई हैं क्योंकि सरकार द्वार 1000 और 500 के पुराने नोटों की बंदी के बाद से लोगों के पास कैश की बेहद कमी पैदा हो गई है।
रांची के इस अस्पताल में मिल रहा है मुफ्त इलाज
जहाँ मिडिया में ऐसे अस्पतालों के बारे में बताया गया जो पुराने नोट होने की वजह से मरीजों का इलाज करने से इनकार कर रहे है, वहीँ रांची के विनायक अस्पताल के मुख्य, डॉ. चंदन कुमार ने इंसानियत की एक नयी मिसाल खड़ी कर दी है
डॉ. चंदन कुमार ने नोटबंदी होने के बाद 10 से 13 अक्टूबर तक अपने अस्पताल में ऐसे सभी मरीजों का इलाज निःशुल्क किया, जिनके पास सिर्फ 500 या हज़ार के ही नोट बच गए थे।
डॉ. चंदन कुमार ने कहा, ‘मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद अच्छा निर्णय लिया है। फिलहाल नोटों की कमी को देखते हुए 10 से 13 नवंबर तक यहां इलाज मुफ्त किया गया है, ताकि लोगों को परेशानी न हो।”
मुसाफिरों को मुफ्त में खाना खिलाता होटल मालिक
अकोला के नॅशनल हायवे क्रमांक 6 पर बालापुर में स्थित मराठा हॉटेल के आगे आपको आजकल एक बोर्ड नज़र आएगा, जिसपर लिखा है,
‘गाँव के बाहर से आये मुसाफिरों, यदि आपके पास सिर्फ 500 या हज़ार का ही नोट है तो बिलकुल चिंता न करे। आप यहाँ खाना खाकर जाएँ और अगली बार आकर बिल का भुगतान करे।’
इस होटल के मालिक, मुरलीधर राउत ने 8 नवम्बर को नोटबंदी होने के बाद इस बात पे गौर किया कि इस बात से सबसे ज्यादा परेशानी उन मुसाफिरों को हो रही है जिनके पास हाईवे या अन्य छोटी जगहों पर खाना खाने तक के लिए खुल्ले पैसे नहीं है। इसके बाद उन्होंने अपने होटल के आगे ये बोर्ड लगाकर काफी लोगों की परेशानी दूर कर दी।
हम सभी देश में बदलाव की आशा रखते है। पर उसमे योगदान देने की बारी आती है, तो थोडा डगमगा जाते है। पर इस तरह की कहानियां ये साबित करती है कि यदि सभी भारतीय एक-जुट हो जाएँ तो हर मुसीबत का हंस कर सामना कर सकते है।
(साभार – द बेटर इंडिया)