नयी दिल्ली : प्रत्यक्ष कर प्राप्ति में पिछले सात साल में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। नोटबंदी का इसमें बड़ा योगदान माना जा रहा है। यही वजह है कि आयकर विभाग चालू वित्त वर्ष के लिये तय प्रत्यक्ष कर वसूली लक्ष्य का आधे से अधिक राजस्व पहले ही प्राप्त कर चुका है। उसकी वसूली 6.63 लाख करोड़ रुपये से ऊपर निकल गई है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
आयकर विभाग के लिये नीति बनाने वाली संस्था सीबीडीटी की ‘‘नोटबंदी का प्रभाव’’ पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2016 में उच्च मूल्य वर्ग के दो नोटों 500 रुपये और 1,000 रुपये को चलन से हटाये जाने का परिणाम यह हुआ कि बड़ी मात्रा में अहम सूचना और आंकड़े विभाग को उपलब्ध हुये जिनके आधार पर की गई प्रवर्तन कार्रवाई से कर चोरी के खिलाफ बड़ी सफलता मिली। इन सूचनाओं के आधार पर कर विभाग ने बड़ी संख्या में जांच और सर्वे की कार्रवाई भी की।
सीबीडीटी की यह रिपोर्ट पीटीआई- भाषा के पास उपलब्ध है। इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में अब तक (15 नवंबर 2018 तक) प्रत्यक्ष कर में सकल राजस्व प्राप्ति 6.63 लाख करोड़ रुपये रही है। यह राशि एक साल पहले की इसी अवधि में हुई वसूली से 16.4 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ‘‘नोटबंदी का सकारात्मक असर है।’’
वित्त वर्ष 2018- 19 के लिये प्रत्यक्ष कर प्राप्ति का 11.5 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है। आयकर विभाग के लिये लक्ष्य को हासिल करने के लिये चार माह का समय बचा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान दाखिल की गई आयकर रिटर्न की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2013- 14 में जहां 3.79 करोड़ रिटर्न जमा कराई गई वहीं 2017- 18 में यह संख्या 81 प्रतिशत बढ़कर 6.87 करोड़ तक पहुंच गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर आधार को व्यापक बनाने में काफी मदद मिली है। इस दौरान न केवल आईटीआर रिटर्न की संख्या बढ़ी है बल्कि रिटर्न भरने वाले नये करदाताओं की संख्या 2017- 18 में 1.07 करोड़ तक पहुंच गई। इससे पिछले साल यह 85.51 लाख थी। इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसमें कहा गया है कि 2017- 18 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर प्राप्ति 18 प्रतिशत बढ़कर 10.03 लाख करोड़ रुपये रही थी।