नेज़ अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव ने मोहा सिनेप्रेमियों का  मन 

कोलकाता : देश की सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता में आयोजित तीन दिवसीय नेज़ अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव 2019 का देश भर से जुटे सिनेप्रेमियों ने भरपूर लुत्फ़ उठाया। 37 देशों की आयीं 73 फ़िल्मों की प्रवृष्टियां में से चुनी गयी फ़िल्मों को प्रदर्शन इसमें हुआ जिसमें फ़ीचर फ़िल्म, डाक्यूमेंट्री, एनिमेशन व शार्ट फ़िल्में शामिल रहीं। समारोह का आयोजन आई लीड संस्थान के कैम्पस में स्थित ऑडिटोरियम में हुआ। निर्णायक मंडल के सदस्य थे अंतरराष्ट्रीय स्तर के फ़िल्मकार व प्राग में फ़िल्म अध्ययन विभाग के प्रोफेसर सैमिर बाजो, साहित्यकार डॉ.अभिज्ञात व संगीतकार संजीब सरकार।

एनिमेशन फ़िल्म ‘वन’ के लिए निर्देशक केतन पाल, वृत्तचित्र ‘स्पीयर्स फ्राम ऑल साइड्स’ के लिए निर्देशक क्रिस्टोफर वॉकर, संगीत के लिए ‘प्लानो’ अन्ना स्टरपोउलोन, विशेष फेस्टिवल पुरस्कार शार्ट फिल्म (छात्र) ‘एन आफ्टरनून अफेयर’ निर्देशक तांग्सु कर्मकार, शार्ट फिल्म स्पेशन मैसेज के लिए ‘हैप्पी बर्थडे’ निर्देशक सीमा देसाई, बेस्ट शार्ट फिल्म (भारत) ‘नान्नू कशमिनचांडी’ के निर्देशक राघव ओंकार शशिधर, फ़ीचर फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का खिताब चेतन सिंह को उनकी फिल्म ‘ऑनन दि ब्लू कैनवास’ को दिया गया। वहीं स्पेशन केटेगरी में नेज़ इनफाइनेट विस्टा अवार्ड ‘अरेंजमेंट’ के लिए निर्देशक अमिर जफ़र को दिया गया। इसके अलावा श्रेष्ठ अभिनेता, अभिनेत्री सिनेमेट्रोग्राफर को भी अवार्ड दिये गये।

 

फ़िल्मकार डॉ.सुदीप रंजन सरकार ने बताया कि मैंने नेज़ मूविंग पिक्सल्स की स्थापना रीता झंवर के साथ की। इस प्रोक्शन हाउस के कई फ़िल्में बनायीं और अंतरराष्ट्रीय समारोह भी किये। नेज़ इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल-2019 पांचवां समारोह है। नेज़ का अगला अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल प्राग में होगा। नेज़ की ओर से प्राग व अमेरिका के फ़िल्मकारों के साथ साझे तौर पर फ़िल्मों का निर्माण किया जायेगा।

फेस्टिवल की चेयरपर्सन रीता झंवर ने कहा कि दुनिया को और बेहतर बनाने का ऐसा ख़्वाब फ़िल्मकार रचते है जिसे पूरी दुनिया देखती है और उसे यह अपनी ही जानी पहचानी या अपनी इच्छाओं की दुनिया लगती है। समारोह में नेज़ की ओर से सोमाली ए विद्यार्थी के सम्पादन में विभिन्न कलाओं पर केन्द्रित एक त्रैमासिक अंग्रेज़ी पत्रिका ‘आर्टे’ तथा डॉ.सुदीप रंजन सरकार की कहानी पर बनी हिन्दी फ़ीचर फ़िल्म ‘अम्फर्मंग : दि ट्रांसफार्मेशन’ पर अनामित्रा पाल द्वारा तैयार गये ग्राफ़िक नॉवेल का लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि फ़िल्म अभिनेता अमन यतन वर्मा ने किया। समापन समारोह में रंगकर्मी उषा गांगुली को नेज़ आइकॉन अवार्ड से सम्मानित किया गया। साथ ही समाज की विभिन्न गतिविधियों में उल्लेखनीय कार्य के लिए सुभाशिष साहा, मिमि दास, विकास सिंह, पारिजात चक्रवर्ती और मून साहा को नेज़ एक्सलेंस अवार्ड प्रदान किया गया।

इस अवसर पर फ़िल्म अभिनेता अमन वर्मा ने कहा कि आरम्भिक दौर में मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। कम लोग जानते होंगे कि गायक-संगीतकार हिमेश रेशमिया पहले टीवी सीरियल प्रोड्यूसर थे और उन्होंने कई अभिनेताओं को चांस दिया। मुझे भी वहीं छोटे मोटे रोल मिले। बाद में क्योंकि सास भी कभी बहू थी शांति जैसे धारावाहिकों मेरी पहचान बन गयी। मुझे जल्दी ही लगा कि एक खास करेक्टर में कलाकार को नहीं बंधना चाहिए। बागबान में मेरे निगेटिव रोल का लोगों पर ऐसा असर पड़ा कि लगभग एक दशक तक लोग मुझे रोक रोक कर पूछते थे कि भला संतान इतनी नालायक कैसे हो सकती है। यह मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार रहा। 

रंगकर्मी उषा गांगुली ने कहा कि थियेटर बहुत शक्तिशाली माध्यम है और उसमें समाज को बदलने की अद्भुत ताकत है। वह मनुष्य के सोचने का तौर तरीका व उसका व्यक्तित्व बदल सकता है। वह केवल लोगों का मनोरंजन नहीं करता, लोकरंजन ही उसका काम नहीं है, वह आपको धक्का देता है, वह आपसे सवाल करता है।

मशहूर फिल्म निर्देशक सैमिर बाजो ने फ़िल्म निर्माण से जुड़े व्याखान में कहा कि सिनेमा बनाने के लिए कैमरा व बाहरी उपकरणों से अधिक महत्वपूर्ण है अपने विषय को ठीक से जानना। फिल्मकार की आंतरिक समझ भी उसे महत्वपूर्ण बनाती है। फिल्म में आम तौर पर सबका ध्यान कैमरे पर रहता है लेकिन आवाज पर बहुत ध्यान नहीं दिया जाता। उसकी भूमिका दृश्य से कम नहीं होती।

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