त्योहार का मजा मिठाइयों के साथ है और इन दिनों मिठाइयों की माँग भी काफी बढ़ जाती है। कई बार ऐसा होता है कि माँग पूरी करने के लिए मिठाई विक्रेता गुणवत्ता के साथ समझौता कर लेते हैं मगर इसका खामियाजा हम सबको भुगतना पड़ता है। इससे बचा जा सकता है बशर्ते जरा सी सावधानी बरती जाए। यहाँ बताए जा रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जिनकी मदद से आप असली और नकली मिठाई का फर्क जान सकते हैं –
यूरिया : दूध में दो मिली यूरिया रिजेंट डालें और दोनों को अच्छी तरह मिलाएं, पीला रंग दिखाई दे तो यूरिया की मिलावट है।
अमोनिया: दूध में अमोनिया रिजेंट मिलाएं, रंग भूरा हो जाए तो दूध में अमोनिया फर्टिलाइजर मिलाया है।
स्टार्च :दूध उबालें, ठंडा होने पर इसमें स्टार्च की कुछ बूंदें डालें, नीला रंग हो तो फर्टिलाइजर है।
ग्लूकोज : ग्लूकोज रिजेंट केमिल डालें। तीन मिनट तक इसे उबलते पानी में रहने दें। ठंडा होने पर मिलीमीटर ग्लूकोज रिजेंट मिलाएं। गहरा नीला रंग हुआ तो ग्लूकोज है।
मावा : यूरिया,वनस्पति घी, रिकमंड पाउडर, उबले आलू के मिले होने की संभावना रहती है।
ऐसे करें जांच – मावा शुद्ध है या नहीं, इसकी पहचान के लिए टिंचर आयोडीन डालते ही मिलावटी मावा नीला पड़ जाता है। क्रीम निकले मावे की चिकनाई कम होती है। मिलावटी मावा चखने पर कड़वा एवं खट्टा लगता है।
देशी घी : वनस्पति घी, एसेंस, उबले आलू एवं तेल की मिलावट की संभावना।
ऐसे करें जांच – इसकी जांच के लिए घी को हथेली पर रगड़ने पर खुशबू एवं चिकनापन रहता है। नकली घी होने पर दाने उभर जाते हैं।
सोन पापड़ी : घटिया क्वालिटी के घी की मिलावट की संभावना हो सकती है, सोन पापड़ी देशी घी से बनती है और बहुत सॉफ्ट होती है।
ऐसे करें जांच :मिलावटी सोन पापड़ी सख्त होती है। मिलावटी से अजीब-सी बदूब आती है।
ऐसे करें दूध की जाँच – यूरिया : दूध में दो मिली यूरिया रिजेंट डालें और दोनों को अच्छी तरह मिलाएं, पीला रंग दिखाई दे तो यूरिया की मिलावट है।
अमोनिया: दूध में अमोनिया रिजेंट मिलाएं, रंग भूरा हो जाए तो दूध में अमोनिया फर्टिलाइजर मिलाया है।
स्टार्च :दूध उबालें, ठंडा होने पर इसमें स्टार्च की कुछ बूंदें डालें, नीला रंग हो तो फर्टिलाइजर है।
ग्लूकोज : ग्लूकोज रिजेंट केमिल डालें। तीन मिनट तक इसे उबलते पानी में रहने दें। ठंडा
मिलावटी मिठाई बेचने से दुकानदार की तो चांदी हो जाती है, मगर खरीदने वाला मावा, दूध, बर्फी में 25 प्रतिशत की मिलावट हो तो भी दाम 100 प्रतिशत शुद्धता के ही चुकाता है।
मावा मिठाई में सूजी, कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च आदि की मिलावट हो सकती है। डॉक्टरों के अनुसार फंगस वाली या बासी मिठाई खाने से पेट में इंफेक्शन व फूड पॉयजन हो सकता है। इससे कई तरह की हानि हो सकती है। कुछ रुपए में खरीदी गई मिलावटी मिठाई को खाने से बीमार होने पर इलाज में कई गुना रुपए खर्च हो सकते हैं।