धर्म, सियासत और ग्लैमर के हमाम में तो सब नंगे हैं, कैसे होगी सफाई?

अपराजिता फीचर डेस्क

बाबा राम रहीम इन दिनों जेल में है और उसके अनुयायी अभी भी उसके समर्थन में हैं। डेरे से 6 साल से 18 साल की 20 लड़कियाँ छुड़वाई गयी हैं। राम रहीम को 2 अलग मामलों में 10 -10 साल की सजा हो गयी हैै। आसाराम की तरह उसने भी मुँह खोलने वालों की हत्याएँ करवायी हैं, यह बस एक झलक है, हमारा देश न जाने ऐसे कितने बाबाओं के चंगुल में फँसा है, जिसका कोई समाधान अभी नजर नहीं आ रहा। तमाम सितारों से लेकर नेता, प्रशासन सब ऐसे बाबाओं को धार्मिक गुरुओं के आगे नतमस्तक हैं। मार्क्स ने एक कहा था कि धर्म अफीम है और भारत में धर्म का नशा सिर पर चढ़कर बोलता है। इस कदर बोलता है कि नशे में डूबे लोग एक अपराधी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, हिंसा, लूट और आगजनी कर सकते हैं। एक बात तो तय है कि भारत में धर्म कोई भी हो मगर सबसे सुलभ और सबसे सस्ता कुछ है तो वह स्त्री का शरीर है। धर्म, पैगम्बर और मजहब के नाम पर हमेशा से औरतों का शोषण होता आया है और वह मुँह नहीं खोल सकतीं क्योंकि अफीम के नशे में डूबे लोग उसे जीने नहीं देंगे और इन रहनुमाओं की ताकत का आलम यह है कि सरकारें बर्बादी का तमाशा देखती हैं और हाथ जोड़े, सिर झुकाए अपनी सियासत के खेल को जिन्दा रखती हैं। कोई मौलाना हो, कोई धर्मगुरु हो, कोई पादरी हो, उस पर आरोप लगते हैं मगर उसके खिलाफ जाने का साहस कोई नहीं करता, 99 प्रतिशत मामले तो बाहर ही नहीं जाते और जो बाहर जाते हैं, उनमें भी इन्साफ मिलते – मिलते बहुत देर हो जाती है। इन सबका का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि वे लोग हैं जो अपनी मुश्किलों से हारकर ऐसे बाबाओं के चक्कर में पड़ते हैं और इस कदर खूँखार होते हैं कि नवजात की जान लेने में नहीं हिचकते। पिछले सप्ताह न्यायपालिका ने जिस तरह की सक्रियता दिखायी है, वह एक उम्मीद पैदा करती है मगर क्या इन फैसलों का लागू होना आसान है, खासकर तब जब प्रशासन और समाज पीड़ितों को दबाने के लिए खड़ा हो। जिस प्रदेश का मुख्यमंत्री एक बलात्कारी को अपराधी नहीं मानता हो, जहाँ के डीआईजी एक सजायाफ्ता बलात्कारी का बैग उठा रहा हो, जिस प्रदेश का शिक्षामंत्री उपद्रवियों को शांत श्रद्धालु करार दे रहा हो, हम अगर वहाँ जागरुकता की उम्मीद कर रहे हैं तो खुद को बेवकूफ ही बना रहे हैं।

राम रहीम और हनीप्रीत के रिश्ते पर भी काफी कुछ कहा जा रहा है। इस मुँहबोली बेटी को डेरे का नम्बर दो माना जा रहा है

हम मानें या न मानें मगर हिन्दूओं में एक खूबी तो यह है कि वे देर से ही सही मगर गलत को गलत कहना सीख रहे हैं मगर अन्य धर्मों में ऐसा न के बराबर है। आप इसे पूरी तरह अशिक्षा से भी नहीं जोड़ सकते क्योंकि राम रहीम का प्रभाव पंजाब, हरियाणा राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में है जहाँ शिक्षा की कमी नहीं है, कम से कम बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से तो बहुत ज्यादा है। हिन्दू धर्म ही नहीं मुस्लिम में भी तीन तलाक के बाद हलाला के दौरान औरतों का जो दैहिक शोषण होता है, वह ऐसे ही मौलाना और मौलवियों द्वारा ही होता है और वे इसके लिए मोटी रकम वसूलते हैं। शिक्षा और जागरुकता के अभाव में औरतों के लिए उनका घर उनकी इज्जत पर भारी पड़ता है और नतीजा यह है कि ऐसे घटिया लोगों का काला धंधा चला आ रहा है जिसके खत्म होने के आसार तो फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। हिन्दी में मधु कांकरिया का उपन्यास संस्कृति सेज पर जैन समाज में साध्वियों के शोषण का खुलासा करता है।

इन लड़कियों को इस नर्क में कोई और नहीं धकेलता बल्कि उनके अपने धकेलते हैं जिन पर भरोसा करके वो आती हैं और जब वे अपने शोषण की कहानी सुनाती हैं तो उन पर यकीन करने वाला कोई नहीं होता। इतना ही नहीं इन लड़कियों को इस नर्क में जिन्दगी गुजारने की सलाह देने वाले भी उनके घरवाले ही होते हैं क्योंकि उनको दैवी प्रकोप और धमकियों के साथ बदनामी का डर इतना ज्यादा रहता है कि वे एक बेटी का जीवन तबाह होते देख ज्यादा श्रेयकर समझते हैं। राम रहीम के मामले में भी पीड़िता को गुमनाम होकर खत लिखना पड़ा। गनीमत मानिए कि चिट्ठी पर कार्रवाई हई मगर ऐसा नहीं होता तो और यह तो सिर्फ एक परदा उठा तो 30 जानें गयीं और शहर के शहर जल उठे, अभी तो न जाने ऐसे कितने मामले बाकी हैं और कल्पना कीजिए कि तमाशा देखने वाली सरकारें अगर हालात पर काबू नहीं करतीं तो नजारा क्या और कितना भयावह है।

अभी तो बस ये चन्द मामले हैं

राम रहीम के पहले भी बहुत से ऐसे मामले हैं जिनमें गिरफ्तारियाँ हुई हैं और मामले विचाराधीन हैं मगर जब भी ऐसे बाबाओं को अदालतों में पेश किया जाता है तो प्रशासन का सिरदर्द बढ़ जाता है और कई बार प्रशासन हुकुम बजाता अधिक नजर आता है, जैसा कि खट्टर सरकार कर रही है। पहले तो जानते हैं ऐसे मामलों में जिनमें धार्मिक रंग हैं और वोटबैंक के चक्कर में सरकारें कठपुतली बनी नजर आ रही हैं। इनमें से एक  चर्चित गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश में हुई थी।

विश्वास के नाम पर ढोंगी चलाते हैं कारोबार

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक बाबा था परमानंद। असली नाम है राम शंकर तिवारी। उस पर आरोप है कि वो बच्चे पैदा करने के नाम पर महिलाओं से बलात्कार  करता था और उनके वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करता था। पुलिस ने उसे 24 मई 2016 को गिरफ्तार कर लिया था। उस पर 12 मुकदमे दर्ज हैं और वो अब भी जेल में है। बाराबंकी आश्रम में छापेमारी के दौरान उसके आश्रम से अश्लील सीडी और अश्लील साहित्य बरामद किया गया था। उसे मध्यप्रदेश के सतना से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब उनके आश्रम में बनाया गया एक अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बताया जा रहा था कि आश्रम का कम्प्यूटर खराब हो गया था। बनवाने के लिए उसे एक दुकान पर भेजा गया था. यहां से दुकानदार ने उस वीडियो को वायरल कर दिया। अब भी परमानंद लखनऊ की जेल में बंद है।

ऐसी अंधी भक्ति ही तमाम समस्याओं की जड़ है। आसाराम पर यौन शोषण के साथ गवाहों की हत्याएँ करवाने का भी आरोप है और इसके भक्तों की कतार बहुत लम्बी हैै। फिलहाल जेल में हैै

अपने ही आश्रम की एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में आरोपी आसाराम 1 सितंबर 2013 से जोधपुर में बंद है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से उसकी जमानत खारिज हो चुकी है। आसाराम के अलावा उसका बेटा नारायण साईं भी महिला श्रद्धालुओं के उत्पीड़न के आरोप में जेल में बंद है। इस साल जनवरी में ही सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दस्तावेज को जाली करार दिया। इस फर्जी दस्तावेज का संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एनवी रामन्ना की पीठ ने 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जाली दस्तावेज के लिए कोर्ट ने नया मुकदमा दर्ज करने का भी आदेश दिया था। अब तक इस मामले से जुड़े तीन लोगों की हत्या हो चुकी है, जबकि सात लोगों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं। आसाराम पर हजारों करोड़ों की जमीन हथियाने के अलावा हत्या जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।

डेली ओ वेबसाइट के मुताबिक एक तरफ तो भीमानंद खुद को भगवान का अवतार बताता था, दूसरी तरफ सेक्स रैकेट चलाता था। फरवरी 2010 में जब दो एयरहोस्टेस समेत आठ लोगों को सेक्स रैकेट चलाने के मामले में गिरफ्तार किया गया तो मामले का खुलासा हुआ। जब इन लोगों से पूछताछ की गई तो पता चला कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड 39 साल का शिवमूरत द्विवेदी है। इसे दुनिया इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद जी महाराज चित्रकूट वाले के नाम से जानती है। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट का रहने वाला शिवमूरत 1988 में दिल्ली आ गया था और नेहरू प्लेस के एक 5 स्टार होटल में गार्ड बन गया था। 1997 में लाजपत नगर में मसाज पार्लर में काम करने लगा। 1997 और 1998 में उसे वेश्यावृत्ति करवानने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जेल से बाहर आने के बाद उसने अपना नाम बदल लिया और वह खुद को इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद जी महाराज बताने लगा। एक साईं मंदिर में काम करने के दौरान ही वो सेक्स रैकेट चलाने लगा। 2010 से ही भीमानंद जेल में है और उसकी संपत्ति को ईडी जब्त कर चुका है।

पीड़ित महिलाओं पर परिवार और समाज का दबाव इतना रहता है कि वे मुँह नहीं खोलतीं

नवंबर 2014. रेप, यौन शोषण जैसे कई आरोपों को लेकर कथित संत रामपाल की गिरफ्तारी हुई। रिपोर्ट्स की मानें तो रामपाल तमाम लड़कियों को अपने एक किले में बंधक बनाकर रखता था। वो इन्हें साधिकाएं बुलाता था। इनमें से कुछ को वो अपने कमरे में बुलाता और कथित तौर पर शारीरिक संबंध बनाता था।  27 साल की बबिता कुमारी रामपाल की सबसे खास साधिका थीं। सूत्रों का कहना है कि बबिता के रामपाल के लड़के के साथ भी संबंध थे। कहा जाता है कि बाप-बेटे के साथ रिश्ते के कारण बबिता का रामपाल पर पूरा नियन्त्रण हो गया था। सूत्रों का कहना है कि रामपाल ने बबिता के नाम पर बैंक में 10 लाख का फिक्स डिपॉजिट भी कर रखा था। कहते हैं कि बबिता जब कमरे में होती थी तो रामपाल किसी को अंदर नहीं आने देते थे। पुलिस ने जब पड़ताल की थी तो रामपाल के कमरे से प्रेग्नेंसी किट और सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवाइयां मिली थीं।

जून 2012. बंगलुरु के बिदारी में स्थित अधीनम मठ के 293वें प्रधान नित्यानंद को बलात्कार और यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाबा के अड्डे पर जब पुलिस ने जांच की तो वहां कई इस्तेमाल किए हुए कंडोम और गांजा मिला था। कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने नित्यानंद की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। वो भी तब जब नित्यानंद से पीड़ित उनके कई चेलों ने एक प्राइवेट चैनल पर शोषण का आरोप लगाया था। नित्यानंद की एक शिष्या ने उनका पूरा काला चिट्ठा खोल दिया था। उसने बताया था कि उसके साथ नित्यानंद ने कई बार बलात्कार किया। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी। उसका ये भी दावा था कि नित्यानंद के जो एक तमिल हिरोइन के साथ सेक्स टेप सामने आए थे, वो उसी ने शूट किए थे।

कथित महिला धर्मगुरुओं की तो यह एक झाँकी है। राधे माँ सुर्खियों में रहने केे लिए ऐसे कई हथकंडे अपनाती रहती है

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां पर 2002 में अपने सिरसा डेरे में साध्वियों के बलात्कार का आरोप साबित हो चुका है। यह तो इस खुलासे की महज शुरुआत है, ऐसे न जाने कितने यौन शोषण इस अपराधी ने किए होंगे, इसकी तो बस कल्पना ही की जा सकती है। इस बारे में एक साध्वी ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक गुमनाम खत लिखा था। इस खत की एक कॉपी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट को भी भेजी गई थी। इस चिट्ठी के आधार पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच करने के आदेश दिए। सीबीआई की जांच में लड़की की शिकायत को सही पाया गया। दो साध्वियों ने सीबीआई की जांच में उनका साथ भी दिया। डेरा सच्चा सौदा पर आरोप लगा कि इस केस को दबाने की नीयत से उसने एक शिकायतकर्ता साध्वी के भाई की हत्या करवा दी। इसके बाद इस केस की रिपोर्टिंग कर रहे एक पूरा सच अखबार के संपादक रामचंदर छत्रपति की भी हत्या हो गई। इस मामले में भी मुख्य आरोपी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ही है। मामले में सुनवाई 17 अगस्त 2017 तक चल। 25 अगस्त 2017 को इस मामले में पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम को दोषी मान लिया। राम रहीम को दो मामलों में 20 साल की सजा हो गयी मगर छत्रपति की हत्या और 400 साधुओं को नपुंसक बनाने जैसे कई मामलों पर फैसला होना बाकी है।

दूसरे धर्मों के ठेकेदार भी कुछ कम नहीं हैं

साल भर पहले बिजनौर में एक इमाम, मौलाना अनवरुल हक़ एक औरत का बलात्कार करते हुए पकड़ाया। 40 साल का मौलाना, 30 साल की औरत का बलात्ककार रहा था। मौलाना ने औरत को ये झांसा देकर अपने कमरे पर बुलाया था कि ऐसी कुछ पूजा है, जो उसे अकेले करनी होगी। वहां उसका बलात्कार कर धमकी दी, पति को बताया तो ठीक नहीं होगा।

फादर रॉबिन, जिस पर यौन शोषण का आरोप लगाया और पीड़ित पर ही सवाल उठते रहे

कुछ महीनों पहले केरल से एक 16 साल की लड़की के रेप होने की खबर आई. लड़की गर्भवती हुई, उसे बच्चा भी हुआ। बलात्कार करने वाला एक पादरी था। फादर रॉबिन, जिसपर रेप का आरोप था, कथित तौर पर बच्चों की बेहतरी के लिए काम करता था। साल केरल में पादरी के हाथों लड़की का बलात्कार हो जाने के बाद वहां की एक धार्मिक पत्रिका ने छापा था –  पादरी भी इंसान ही है. उस समय उसके शरीर की इच्छाओं ने उसको काबू कर लिया होगा मगर वो लड़की भी तो धर्म से ईसाई थी। क्या ये उसका धर्म नहीं था कि वो पादरी को किसी तरह रोक ले। बहुत सालों पर ऐसे ही एक मसले पर फिल्म आई थी हंगामा जमकर  हुआ था मगर हंगामे हकीकत नहीं बदलते।

 

निकाह हलाला या हवस मिटाने की साजिश

 हाल ही में एक बार में तीन तलाक देने को असंवैधानिक करार दिया गया मगर शोषण की कहानी इसके बाद शुरू होती है जिस पर बात फिलहाल नहीं हुई। इसे निकाह हलाला कहते हैं। बीते दिनों इंडिया टुडे के हुए स्टिंग ऑपरेशन में मुरादाबाद में इमाम नदीम को पैसे लेकर निकाह हलाला करते हुए पाया गया यानी तलाकशुदा औरत अपने पिछले पति के पास फिर से जा सके, इसके लिए उसे फिर से शादी करना ज़रूरी होता है। इमाम उनके साथ सोकर दूसरी शादी की कमी पूरी करते हैं। ज़ाहिर सी बात है, इसके बाद औरत को अपने पिछले पति से फिर से शादी करने की इजाज़त मिल जाती है।

इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में कई इमाम पकड़े गए थे

पता पड़ा कि इमाम एक औरत के साथ सोने के लिए 25 हजार से 1 लाख लेता था। बता दें कि झांसा देकर औरत के साथ सेक्स करना भी संविधान के मुताबिक बलात्कार के दायरे में आता है। उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मिलकर ऐसे कई इमाम स्टिंग में पकड़े गए।

बौद्ध भिक्षुओं में लगी ये बीमारी

बीते दिनों असम में एक 12 साल की लड़की का रेप हुआ, मीडिया में जिसकी खबर सुनने को नहीं आई। ये रेप एक बौद्ध भिक्षु ने बच्ची के हाथों पूजा करवाने के बहाने किया. घर से दूर एक मंदिर में उसे पूजा के लिए बुलाया और उसके भाई को सामान लेने भेज दिया। फिर अपने कमरे में उसका रेप कर उसे धमकी दी कि इस बारे में किसी से कहा तो परिवार का भविष्य बिगड़ जाएगा।

वोटबैंक, ग्लैमर, सियासत का खेल और बाबाओं को बर्बादी की छूट

राम रहीम रेप का दोषी है। सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद हरियाणा हिंसा में जल उठा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक हिंसा में 31 लोग मर चुके हैं। पंचकुला में 29 और सिरसा में दो लोगों की मौत हुई है. कम से कम 250 लोग घायल हुए हैं। घायलों में 60 पुलिसकर्मी भी हैं मगर सियासी और ग्लैमर के चमकते गलियारों में कोई चूँ तक नहीं कर रहा। ऐसा लगता है मगर सारे नेताओं और अभिनेता व अभिनेत्रियों को साँप सूँघ गया है। बहुत कम लोग हैं जो सामने आकर कोर्ट की तारीफों के पुल बाँध रहे हैं या राम रहीम को बलात्कारी कहने का साहस कर रहे हैं। सिर्फ कोर्ट है, जो इस हिंसा पर पूरी नज़र बनाए हुए है।

हरियाणा जलता रहा और खट्टर सरकार तमाशा देखती रही

तभी तो कोर्ट ने नुकसान की भरपाई के लिए गुरमीत की संपत्ति ज़ब्त करने का आदेश दे दिया और खट्टर से लेकर मोदी सरकार को आईना दिखा दिया। हैरत की बात यह है कि हर बात पर ट्विट करके कोसने वाले सुरजेवाला और केजरीवाल से लेकर मायावती जैसे नेता भी खामोश बैठे हैं। कोर्ट ने तो पहले ही कह दिया है कि राजनीतिक फायदे के लिए हिंसा को होने दिया गया और सच भी यही है। जाट आन्दोलन के दौरान हिंसा अत्प्रत्याशित हो सकती है मगर  इस मामले में ऐसा कतई नहीं था मगर सरकार ने इसके बावजूद कोई सख्त कदम नहीं उठाया। पुलिस को हथियार दिए गए, सेना तैनात की गयी मगर बल प्रयोग की इजाजत सही समय पर नहीं मिली।

राम रहीम केे भक्तों में कई सेलिब्रिटी हैं और बहुत कम लोग हैं जिन्होंने जुबान खोली है

दरअसल,हरियाणा और पंजाब विधानसभा चुनाव के वक़्त गुरमीत राम रहीम सिंह ने भाजपा और अकाली दल का खुलकर समर्थन किया था। 7 अक्टूबर 2014 को इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा के 90 उम्मीदवारों में से 44 उम्मीदवार सिरसा राम रहीम से मिलाने के लिए ले जाए गए थे। उम्मीदवारों के मिलने से 6 दिन पहले अमित शाह ने भी राम रहीम से मुलाकात थी और ये पहली बार था जब राम रहीम ने खुलकर किसी राजनीतिक दल का समर्थन किया था। खुद पीएम मोदी भी इस शख्स की तारीफ कर चुके हैं।

विराट कोहली और आशीष नेहरा भी इस सूची में शामिल हैं

सिर्फ नेता ही नहीं, बल्कि एक बार राम रहीम ने एक इंटरव्यू में खुद कहा था कि शिखर धवन, आशीष नेहरा, ज़हीर खान, युसूफ पठान हमसे मिलने आते थे, वो चाहे मेरा नाम ले, न लें। ये उनकी मर्ज़ी. मैंने उन्हें ट्रेंड किया है। अकाली दल और कांग्रेस के नेता भी राम रहीम की शरण में जाते रहे हैं. 15 अक्टूबर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। इस कतार में अनिल कपूर, जावेद अख्तर, जॉन अब्राहम, शिल्पा शेट्टी, ऋत्विक रोशन जैसे कई सितारे भी हैं और ऐसे अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले भी उतने ही दोषी हैं फिर वह सीनियर बच्चन हों या कोई और, हमाम में सब नंगे हैं साहब…..कितनों को पकड़ोगे, जब तक तुम होश में नहीं आओगे, जब तक औरतें इस मायाजाल को तोड़कर नहीं उतरतीं, कुछ नहीं हो सकता।

(इनपुट – साभार द लल्लन टॉप, बीबीसी हिन्दी )

 

 

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