नई दिल्ली.दीपिका पादुकोण भी कभी डिप्रेशन से गुजर चुकी हैं। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर अपने एनजीओ लिव लव लाफ के ‘दोबारा पूछो’ प्रोग्राम के लॉन्चिंग के दौरान उन्होंने यह आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन में हमें परेशान न होकर उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे लिए इससे बाहर निकलना आसान नहीं था। लेकिन मां ने मेरी मदद की। मैं उनसे कहना चाहूंगी कि अगर वे नहीं होतींं, तो आज मैं यहां नहीं होती। यह वाकया सुनाते हुए वे रो पड़ींं।
– दीपिका ने सोमवार को इस प्रोग्राम में बताया- “दो साल पहले मेरे पेरेंट्स मुझसे मिलने मुंबई आए थे। मेरी बहन भी साथ थी। सभी लोग जाने के लिए पैकिंग कर रहे थे। मैं अपने बेडरूम में अकेली थी। मां मेरे पास आईं और पूछा सब कुछ ठीक है? मैंने कहा- हां। उन्होंने मुझसे फिर पूछा कि यह काम से रिलेटेड है? मैंने कहा- नहीं। उन्होंने फिर पूछा परेशानी की वजह कुछ और है? मैंने कहा -नहीं।”
– “उन्होंने मुझसे दो या तीन बार पूछा। मैं घुटन महसूस कर रही थी। फिर मैं रो पड़ी।”
– “मैं कहना चाहूंगी कि अगर आज मेरी मां नहीं होतींं, तो मैं आज यहां नहीं होती। इस मुश्किल वक्त में मेरा सपोर्ट करने के लिए थैंक्स। मैं सपोर्ट करने के लिए अपनी बहन, पिता और दोस्तों के लिए भी थैंक्स कहना चाहूंगी।”
– “मैं लंबे समय तक डिप्रेशन की स्थिति में नहीं रह सकती थी। मैं इससे जल्दी निकलना चाहती थी। दरअसल, हर प्रॉब्लम का हल अपने अंदर ही होता है। मैंने भी अपनी स्ट्रेंथ को खोजा था। यही मैं दूसरों से कहना चाहती हूं।”
हम सेंसिटिविटी खोते जा रहे हैं
– दीपिका ने कहा- “आज के दौर में हम अपनी सेंसिटिविटी खोते जा रहे हैं। हमें अपनी सेंसिटिविटी को बचाए रखना होगा।”
– “यह समझना जरूरी है कि आज हम बहुत कॉम्पिटीटर बन गए हैं, जो एक अच्छी बात है, लेकिन हम अपने आसपास के लोगों को लेकर कम सेंसिटिव भी हुए हैं।”
– “आपके पास फैमिली और दोस्त होने चाहिए, जो आपके लिए हर समय खड़े हों। इससे डिप्रेशन से गुजर रहे शख्स को बाहर निकलने में मदद मिलती है।”
एक साल पहले शुरू किया था यह कैम्पेन
– दीपिका ने पिछले साल अक्टूबर में ‘लिव लव लाफ’ एनजीओ की शुरुआत की थी। इसका मकसद डिप्रेशन से पीड़ित लोगों की मदद करना और लोगों के बीच अवेयरनेस लाना है।
कब हुईं डिप्रेशन की शिकार
– दीपिका ने इससे पहले भी डिप्रेशन में जाने की बात मानी थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था- “यह सब 2014 में शुरू हुआ था। तब सब कुछ अच्छा चल रहा था। मैंने 2013 में किए गए काम के बदले कई अवॉर्ड जीते थे। एक दिन में सुबह उठी तब मुझे पेट काफी खाली-सा लगा। उस समय मैं खुद को दिशाहीन महसूस कर रही थी। मैं यह जान नहीं पा रही थी, ऐसा क्यों हो रहा है? मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूं। मैंने रोना शुरू कर दिया था।”