जीएसटी पर अमल के तीन महीने बाद केंद्र सरकार ने इससे परेशान छोटे एवं मझोले उद्योगों (एसएमई) को बड़ी राहत देते हुए कंपोजिशन स्कीम में टर्नओवर की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी है। जीएसटी काउंसिल के फैसले ने व्यापारियों के चेहरे खिला दिए हैं। दो लाख तक के जेवर खरीदने पर पैन कार्ड नंबर की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है, जिससे सराफा कारोबार को सबसे बड़ा फायदा मिलेगा।
यही नहीं, डेढ़ करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले कारोबारियों को मासिक रिटर्न भरने से छूट देते हुए उन्हें तिमाही रिटर्न दाखिल करने की सुविधा दी गई है। साथ ही, व्यापारियों को परेशान कर रही रिवर्स चार्ज प्रणाली को अगले साल मार्च तक टाल दिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक में ये फैसले किए गए।
जेटली ने कहा कि कंपोजिशन स्कीम की सीमा एक करोड़ रुपये किए जाने से ज्यादातर छोटे व्यापारियों को फायदा होगा। अगर वे ट्रेडिंग करते हैं तो एक फीसदी, मैन्युफैक्चरिंग में हैं तो दो फीसदी और रेस्तरां चलाते हैं तो पांच फीसदी का टैक्स देकर चैन से अपना धंधा चला सकते हैं।
साथ ही, डेढ़ करोड़ तक टर्नओवर वालों को तिमाही रिटर्न से छूट देने से उन पर कंप्लायंस का बोझ कम होगा। उन्होंने कहा कि रिवर्स चार्ज से भ्रम फैल रहा था, इसलिए इसे 31 मार्च, 2018 तक स्थगित कर दिया गया है। ई-वे बिल के बारे में कहा कि इस पर अगले साल एक अप्रैल से अमल किया जाएगा।
ये चीजें मिलेंगी सस्ती
काउंसिल की बैठक में 27 आइटमों पर टैक्स की दरें घटाने का फैसला किया गया है। चुनाव वाले राज्य गुजरात के कपड़ा व्यापारियों को साधने के लिए मैनमेड यार्न पर टैक्स 18 से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया है।
इसके अलावा डीजल इंजन और पंप के पुर्जों पर 28 से घटाकर 18 फीसदी, क्लिप और पिन जैसी स्टेशनरी वस्तुओं पर 28 से 18 फीसदी, गैरब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाओं पर 12 से पांच फीसदी और ई-वेस्ट पर 28 से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है।
एसी रेस्तरां में सस्ता होगा खाना
जेटली ने बताया कि बैठक में एसी रेस्तराओं पर टैक्स की दरें कम करने का सवाल भी उठाया गया। इसके मद्देनजर, इन पर 18 फीसदी के बजाय 12 फीसदी की जीएसटी दर लागू करने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। इसे लागू करने के तरीके पर विचार करने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन कर दिया गया है जो 20 दिन में अपनी रिपोर्ट देगा। लेकिन अगर दरें कम की गईं तो उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा से हाथ धोना पड़ सकता है।
जॉब वर्क वालों को राहत
जॉब वर्क करने वालों को राहत देते हुए सरकार ने जीएसटी की दरें 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी है।
निर्यातकों को भी सुविधा, ई-वालेट 1 अप्रैल से
जेटली ने कहा कि निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, लेकिन जीएसटी प्रणाली में उनका काफी क्रेडिट फंसा हुआ है। इसके मद्देनजर तय किया गया है कि जुलाई और अगस्त के उनके रिफंड का तत्काल भुगतान कर दिया जाएगा।
इसकी प्रोसेसिंग 10 अक्तूबर से शुरू कर दी जाएगी। इसके बाद वे 0.1 फीसदी का टैक्स चुकाकर निर्यात कर सकते हैं। इस दौरान उन्हें आईजीएसटी से छूट मिलेगी। यह व्यवस्था 31 मार्च, 2018 तक लागू रहेगी। इसके बाद 1 अप्रैल से उनके रिफंड की व्यवस्था ई वालेट के जरिए होगी।
जीओएम करेगा विचार
जेटली ने कहा कि बैठक में कई ऐसे सवाल उठाए गए जिन पर मंत्रियों का समूह विचार करेगा। ये सवाल हैं:
– क्या कंपोजिशन के टर्नओवर में बिना टैक्स वाली वस्तुओं की बिक्री शामिल होगी?
– क्या कंपोजिशन स्कीम में एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यापार की अनुमति होगी?
– क्या कंपोजिशन में मैन्युफैक्चरिंग पर दो फीसदी टैक्स लगेगा तो उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट भी इसी दर पर मिलेगा?