गणेश चतुर्थी : इस बार 10 नहीं, 11 दिन विराजेंगे गणपति

गणेश भक्तों के लिए खुशखबरी है, इस बार उनके प्रिय गणपति बप्पा 10 दिनों के लिए नहीं बल्कि 11 दिनों के लिए उनके घर पर विराजेंगे। क्योंकि इस बार गणेश उत्सव 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर को खत्म हो रहा है।

हिंदू धार्मिक कैलेंडर के मुताबिक, गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद के चौथे दिन मनाई जाती है, मान्यता है कि भगवान गणेश का इस दिन जन्म हुआ था। पूजा और मुहूर्त का समय आगमन की तैयारियां बप्पा के भक्त उनके आगमन की तैयारियां कर रहे हैं। लोगों के घरों में गणपति स्थापना की तैयारियां चल रही है। इस उत्सव का समापन अनन्त चतुर्दशी के दिन श्री गणेश की मूर्ति को समुद्र में विसर्जित करने के पश्चात होता है। लोगों में जबरदस्त उत्साह इन दिनों में जो सच्ची श्रद्धा से श्रीगणेश की की आराधना करता है उन पर वर्ष भर गणेशजी की कृपा बनी रहती है। बुद्धि, ज्ञान और विघ्नविनाशक के रूप में पूजे जाने वाले श्री गणेश जी के स्वागत की पूरी तैयारी कर ली गई है। लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। शिवपुराण में गणेश जी का जिक्र शिवपुराण में कहा गया है कि मां पार्वती ने स्नान करने से पहले अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया था और कहा था किसी को भी घर के अंदर प्रवेश नहीं करने देना, जब तक कि वो स्नान करके वापस नहीं आ जातीं। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें भी रोक दिया। इस पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। गज के मस्तक को बालक के धड़ पर रख दिया जिससे भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे मां पार्वती नाराज हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णु जी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया माता पार्वती ने उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। कहते हैं कि लंबोदर जी की जो कोई भी पूजा करता है तो उसके समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उस पर आने वाला संकट टल जाता है।

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