शिक्षा प्रगति का मार्ग खोलती है और शिक्षा ही समाज में बदलाव ला सकती है। दरअसल मानसिकता को बदलने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है और इसके प्रति जागरुकता लाना आसान काम नहीं है। शिक्षा के प्रसार के मामले में मुस्लिम समुदाय की स्थिति अच्छी नहीं है और इस समाज के पिछड़े वर्ग में बहुत सी समस्याओं की जड़ अशिक्षा में है। ऐसे में कोई महिला पिछले 40 साल से लगातार शिक्षा की रोशनी जरूरतमंद बच्चों तक ले जाने के लिए काम करती रहे तो यह सफर आसान तो कतई नहीं है मगर रक्षंदा जबीन पिछले 40 साल से जरूरतमंद बच्चों तक शिक्षा का प्रसार करने की मुहिम में जुटी हैं। शिक्षा ही नहीं उनका जुनैद एडुकेशन फाउंडेशन बहुत सी सामाजिक बुराईयों के खिलाफ भी काम कर रहा है। अपराजिता की मुलाकात इस बार रक्षंदा जबीन से, पेश हैं प्रमुख अंश –
प्र. आप क्या हमेशा से शिक्षिका बनना चाहती थीं?
उ. मुझे पढ़ाने का शौक बचपन से था। तब छोटे बच्चों को पढ़ाया करती थी। उस समय हम पार्क सर्कस इलाके में रहा करते थे। मुझे इन बच्चों से हमदर्दी थी और अच्छी बात यह थी कि परिवार ने भी तब मुझे आगे बढ़ने का मौका दिया। मेरे वालिद जानते थे कि मुझे पढ़ाना अच्छा लगता था इसलिए उन्होंने मुझे रोका नहीं और बस सिलसिला शुरू हो गया।
प्र. किसी तरह की मुश्किलें तब आयीं?
उ. मुश्किलें तो थीं और बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं था क्योंकि आज से 40 साल पहले लोगों में जागरुकता नहीं थी। वे यह नहीं समझते थे कि पढ़ाई उनके लिए कितनी जरूरी है। ऐसे में मुझे समझाना प़ड़ता था. माहौल तैयार करना पड़ता था। शादी हुई तो पति ने भी इस नेक काम में मेरा पूरा साथ दिया। मुश्किलें तो अब भी हैं क्योंकि शिक्षा के लिहाज से मुस्लिम समाज आज भी बहुत पीछे है। माता – पिता आज भी अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते। जाहिर सी बात है कि अब भी इस दिशा में बहुत काम करने की जरूरत है।
प्र. तब से लेकर आज तक क्या फर्क आप देखती हैं?
उ. लोग अब शिक्षा का महत्व समझ रहे हैं और आज के बच्चे भी सवाल करते हैं, समझना चाहते हैं। आज के माता – पिता भी अपने बच्चों को तालीम देना चाहते हैं। बच्चे अब सवाल करने से डरते नहीं हैं मगर लड़कियाँ अपनी तालीम को लेकर ज्यादा संजीदा हैं। अपने माता – पिता का सम्मान करती हैं और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देती हैं।
प्र. कौन सी ऐसी चीज है जिसने इस उम्र में भी आपको सक्रिय कर रखा है?
उ. बैठना मुझे पसन्द नहीं है। सालों से काम करती आ रही हूँ। कुछ न कुछ करती रहती हूँ। मेरी कोशिश रहती है कि जरूरतमंद बच्चों की मदद कर सकूँ। मैं इन बच्चों को शिक्षित बनाने और एक अच्छा भविष्य देने के मकसद से पढ़ाती हूँ और यही वजह है कि अब तक लगातार पढ़ाती चली आ रही हूँ। शिक्षा को लोगों तक पहुँचाने की कोशिश में जुटी हूँ।
प्र. आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
उ. शिक्षा हासिल करना का मकसद और मतलब महज डिग्री हासिल करना नहीं होता। कुछ ऐसा कीजिए जो दूसरों के काम आ सके। खुद को इस लायक बनाइए कि दूसरों के काम आ सकें।