सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चों से स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर या उससे लंबा रास्ता तय करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि शिक्षा के अधिकार को सार्थक बनाने के लिए मिडिल स्कूलों को इस तरीके से बनाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए कि किसी भी बच्चे को केवल स्कूल जाने के लिए इतना लंबा रास्ता तय नहीं करना पड़े।
सुप्रीम कोर्ट एक ऐसे मामले पर सुनवाई कर रहा था जिसमें केरल के एक स्कूल को अपग्रेड करने की अनुमति मिलने का दूसरे स्कूल ने विरोध किया था।
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने यह पाया कि पारापननगादी शहर में स्थित जूनियर प्राइमरी स्कूल से चौथी कक्षा पास करने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लिए चीन-चार किलोमीटर या उससे भी ज्यादा लंबा रास्ता तय करना पड़ता है।
पीठ ने कहा, हम 10 से 14 वर्ष के बच्चों से स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तय करने की उम्मीद नहीं कर सकते।
संविधान की धारा 21 ए के तहत 14 वर्ष की उम्र तक शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है और अगर इस अधिकार को सार्थक बनाना है तो मिडिल स्कूलों को इस प्रकार से बनाने का प्रयास होना चाहिए कि बच्चे को स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर या उससे अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं पड़े।