हम जो सोचते हैं और जो कहना चाहते हैं या कई बार हमारे साथ कुछ ऐसा होता है जिसकी शिकायत हम पहुँचाना चाहते हैं। ऐसा बच्चों के साथ भी होता है और किशोरावस्था में भी होता है…।किशोरावस्था मतलब टीनेजर्स…एक ऐसी उम्र जो उलझन भरी होती है जिसकी अपनी समस्यायें होती हैं, दिक्कतें होती हैं। दरअसल, 13 से 19 साल के भीतर हमारे शरीर में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं और आवाज भी बदल जाती है…मगर अपनी बात समझा पाना बहुत बार टीनेजर्स के लिए मुश्किल हो जाता है क्योंकि न तो आप छोटे रह ।जाते हैं और न ही इतने बड़े हो पाते हैं कि अपने फैसले खुद ले सकें। ये एक आम समस्या है मगर टीनेजर्स का एक बड़ा वर्ग है जो हमारे आस – पास है और बहुत सी समस्याओं से जूझ रहा है क्योंकि उसके पास हमारी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और समाज में आगे बढ़ने की सुविधा और पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यही स्थिति युवाओं की भी है जबकि इस उम्र में भी मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए बहुत सी संस्थायें काम कर रही हैं और इनमें ही शामिल है सिनी। सिनी ने हाल ही में किशोरों और कम उम्र के युवाओं के लिए देश की पहली टॉल फ्री हेल्पलाइन सेवा शुरू की। सिनी ने यह नयी परिसेवा अपने 43वें स्थापना दिवस पर यह परिसेवा शुरू की जिसका उद्घाटन राज्य की स्वास्थ्य राज्य मंत्री चन्द्रिमा भट्टाचार्य ने किया।
दरअसल सिनी ने 2002 में टीनलाइन शुरू की थी जो कि एक काउंसिलिंग सेवा थी। इसके तहत युवाओ कों स्वास्थ्य और यौन स्वास्थ्य के साथ मनोसामाजिक यानि साइको सोशल, भावनात्मक और पारिवारिक समस्याओं से संबंधित परामर्श दिये जाते थे। काउंसिलिंग इस उम्र में युवाओं को समस्याओं को पहचानकर उनका निवारण करने में सहायक होती है। इससे वे सामाजिक. मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होकर आगे बढ़ पाते हैं और खुद को अभिव्यक्त कर पाते हैं। सिनी द्वारा हाल में पेश की गयी टॉल फ्री टेलि काउंसिलिंग सेवा इसी टीनलाइन के कार्यों का विस्तार है। आप टॉल फ्री नम्बर (1800-121-5323) पर अपनी समस्यायें बता सकते हैं।
सिनी की असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. इन्द्राणी भट्टाचार्य ने बताया कि इस हेल्पलाइन पर युवाओं के अतिरिक्त अभिभावकों पर भी परामर्श दिया जायेगा जिससे वे अपने बच्चों को समझकर उनकी समस्यायें सुलझा सकें।
आरम्भिक तौर पर यह काउंसिलिंग 5 दिनों तक यानि सोमवार से शुक्रवार (सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक) 10 साल से 24 साल तक के किशोरों और युवाओं को दी जायेगी। सिनी टीनलाइन अभिभावकों को भी परामर्श देगी। इसके अतिरिक्त फेस टू फेस काउंसिलिंग सेवा भी जारी रहेगी यानि आप अपनी समस्यायें मिलकर बता सकते हैं और सलाह भी ले सकते हैं।
सुनना तो जरूरी है
हमारी समस्याओं का समाधान एक ही है कि हम सुनें और बात करें। जरूरी है कि बच्चों और टीनेजर्स व युवाओं की बात सुनी जाये तो कहीं न कहीं आपको भी अपने अभिभावकों को सुनना होगा, समझना होगा क्योंकि जुड़ने का रास्ता तो यही है और जुड़कर आगे बढ़ना ही समाधान भी है।