चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने कमीशनिंग और सरोगेट मदर दोनों को ही मातृत्व अवकाश देने का निर्णय लिया है। सरकार के फैसले के अनुसार अब कमीशनिंग मदर अर्थात वह महिला कर्मचारी जो गर्भधारण करने के लिए किसी अन्य महिला की सेवाएं लेती है और सरोगेट मदर अर्थात वह महिला कर्मचारी जो ऐसा करने के लिए अपनी कोख किराए पर देती है, दोनों को ही गर्भवती महिला कर्मचारियों के लिए लागू नियमों और शर्तों के आधार पर ही मातृत्व अवकाश मिलेगा।
वित्त विभाग ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, हरियाणा सरकार के सभी बोर्ड, निगमों, विश्वविद्यालयों के प्रमुखों, सभी मंडलायुक्तों, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़ के रजिस्ट्रार और सभी डीसी, एसडीएम को पत्र भेजकर कहा है कि यह निर्णय दिल्ली उच्च न्यायालय के कमीशनिंग मदर को मातृत्व अवकाश देने के संबंध में सुनाए गए फैसले के मद्देनजर लिया गया है।
केंद्र सरकार ने इसे नीतिगत निर्णय मानते हुए सभी राज्य सरकारों को आदेश अमल में लाने के निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश में जहां कमीशनिंग मदर और सरोगेट मदर दोनों कर्मचारी हैं और मातृत्व अवकाश के लिए पात्र हैं (इस आधार पर कि वह एक कमीशनिंग मदर है और दूसरी इस आधार पर कि वह गर्भवती महिला है), सक्षम प्राधिकारी एक ही समय या अन्यथा मातृत्व अवकाश देने के संबंध में उचित फैसला लेंगे। विभागाध्यक्षों को मातृत्व अवकाश देने के लिए सक्षम प्राधिकारी की शक्तियां प्राप्त हैं।