राँची : नागपुरी फिल्म फुलमनिया और लोहरदगा की स्क्रीनिंग 15 मई को कान फिल्म फेस्टिवल में हुई। इससे पहले लोहरदगा के रहने वाले लाल विजय की पहली शॉर्ट फिल्म “दी साइलेंट स्टेचू’2016 में कान फिल्म फेस्टिवल में शामिल की गई थी।
फुलमनिया फिल्म के निर्माता लाल विजय शाहदेव मुंबई बेस्ड झारखंड के युवा फिल्मकार हैं। झारखंड फिल्म फेस्टिवल के स्वागत समिति का अध्यक्ष होने के बावजूद उन्होंने पैसे लेकर अवॉर्ड बांटने का आराेप लगाते हुए फेस्टिवल का बहिष्कार किया था। अब उसे कान में मौका मिल रहा है। दाेनाें फिल्माें के निर्माता-निर्देशक लाल विजय 13 मई काे फ्रांस पहुंचेंगे।
डायन प्रथा की क्रूरता को दिखाती है फुलमनिया
फुलमनिया में झारखंड की डायन बिसाही प्रथा काे दिखाया गया है। इसमें महिलाओं के शाेषण और बांझपन के दर्द काे भी इसमें प्रमुखता से पेश किया गया है। रांची की काेमल सिंह मुख्य भूमिका में है। लोहरदगा बेरोजगार युवकों के नक्सली बनने की कहानी पर आधारित है। 20 साल का लड़का मनु सेना में जाना चाहता है, लेकिन एक एजेंट के चक्कर मे फंसकर नक्सली बन जाता है। शर्त होती है कि नक्सली बनकर समर्पण करने के बाद सरकार की पॉलिसी के मुताबिक नौकरी पक्की। लेकिन उसके साथ ऐसा कुछ नहीं होता।