लिटिल थेस्पियन ने कहानी और कविता की पाठ प्रस्तुति में अभिनय पक्ष की महत्ता को एक आवश्यक अंग मानते हुए भारतीय भाषा परिषद के साथ मिलकर इसके प्रशिक्षण के लिए तीन महीने का एक डिप्लोमा कोर्स , “कविता और कहानी का नाटकीय सस्वर”, प्रारम्भ किया है जिसके पहले सत्र का समापन आज भारतीय भाषा परिषद के सभाघर में एक कार्यक्रम से हुआ जिसमे कक्षा के छात्रों ने इस सत्र की अंतिम प्रस्तुति दी।लिटिल थेस्पियन की निर्देशिका व प्रख्यात रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला की निगरानी में ये कक्षाएँ चली।
छात्रों की प्रस्तुति का आकलन करने के लिए हिंदी साहित्य व रंगमंच की प्रतिष्टित हस्तियां महेश जैस्वाल शम्भुनाथ और अज़हर आलम निर्णायकों के रूप में मौजूद थे।
छात्रों ने हिंदी के विख्यात लेखकों व कवियों की कृतियों का पाठ नाटकीय व् भावनात्मक ढंग से किया जिसने दर्शकों के दिलों को छुआ। ये कृतियाँ आनंदमय होने के साथ साथ विचारोत्तजक भी थीं। कहानियों में मंटो की कहानी खोल दो, प्रेमचंद की कफ़न, अमृता प्रीतम की ‘एक जीवी’, यशपाल की ‘फूलों का कुरता’ जैसी प्रभावशाली कहानियाँ थीं तथा कवितायों में केदारनाथ की ‘अकाल में सारस’, दिनकर की ‘आग की भीख’, मैथलीशरण गुप्त की ‘आर्य’, महादेवी वर्मा की ‘कौन हो तुम’ जैसी उत्कृष्ट रचनाएं शामिल थीं।
लिटल थेस्पियन की ये एक सराहनीय पहल है जो इस पाठ करने की शैली को बढ़ावा दे रहे हैं। इस तरह के पाठ से श्रोता नई ध्वनियों और नए बिम्बों से स्वतः जुड़ने लगता है क्योंकि हर अभिनेता अपने वाचन से उसके कई मर्म खोलता है और इसलिए कई अलग अलग बिम्बों की सृष्टि होती है ।