इंजीनियर ने शुरू किया चिट्ठियाँ लिखने का स्टार्टअप

चिट्ठियों के खत्म होते दौर को फिर से जीवित करते हुए बेंगलुरु के युवा इंजीनियर अंकित अनुभव व उनके दोस्तों ने एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया है, जहाँ कोई भी व्यक्ति उनकी मदद से अपने प्रेमी, प्रेमिका या रिश्तेदारों को चिठ्ठियां लिखवा सकता है।

अनुभव ने अपने स्टार्टअप के माध्यम से गुज़रे ज़माने को वापस लाने की एक खूबसूरत कोशिश की है। अगर आप भी किसी से प्यार करते हैं, लेकिन उसके सामने इज़हार से डरते हैं या फिर आपको मालूम ही नहीं है कि ख़त लिखें कैसे क्योंकि शब्दों का अता-पता नहीं, तो फिर बेझिझक जुड़ जायें अनुभव और उनकी टीम से।

आज वो समय है कि लोग खत लिखते ही नहीं, लेकिन ख़तों के दौर को फिर से जीवित करते हुए बेंगलुरु के युवा इंजीनियर अनुभव व उनके दोस्तों ने एक ऐसी ब्लॉग साईट शुरू किया है, जहाँ आप उनकी मदद से अपनी पसंद की चिठ्ठियां अपने दिलअजीज़ को लिखवा सकते हैं।

अनुभव ने अपने स्टार्टअप के माध्यम से गुज़रे ज़माने को वापस लाने की एक खूबसूरत कोशिश की है। अगर आप भी किसी से प्यार करते हैं, लेकिन उसके सामने इज़हार से डरते हैं या फिर आपको मालूम ही नहीं है कि ख़त लिखें कैसे क्योंकि शब्दों का अता-पता नहीं, तो फिर बेझिझक जुड़ जायें अनुभव और उनकी टीम से। जो आपके दिल के हाल को शब्दों में बयां करने की खूबियों से भरे हुए हैं। आप इन युवा इंजीनियरों से बेझिझक मदद ले सकते हैं। आप जिन लोगों के लिए चिठ्ठी लिखवाना चाह रहे हैं, तो अनुभव और उनकी टीम को उनकी साईट के माध्यम से उन लोगों का नाम, पता और उनके प्रति अपनी भावनाएं बता दें, ये उन्हें बखूबी अपने शब्दों में उतार कर उनके पते पर पंहुचा देंगे।

सोशल मीडिया के जमाने में तो अच्छे भले शब्द भी शॉर्ट कट में लिखे जाने लगे हैं। लोगों का कहना है कि लंबी-लंबी चिठ्ठियों में जो प्रेम और अपनापन नज़र आता था आज सोशल मीडिया के दौर में वो बात नहीं, लेकिन बेंगलुरु के इन युवाओं ने चिठ्ठी लिखने की परंपरा को जिंदा रखने के लिए यह अनोखा तरिका खोज निकला है।

अनुभव ने बताया कि वे और उनके दोस्त टेक्नोलॉजी कंपनी में काम करते थे। छुट्टियों में जब तीनों दोस्त मिला करते तब सोचते थे कि इस रोबोटिक दौर में भी लोगों को कुछ ऐसा दिया जाए जो सीधा उनके दिल तक पहुँच सके। अनुभव ने कहा “मैं बचपन में चिठ्ठियां लिखा करता था, अपने दादा, मामा और सभी सगे-संबंधियों से बात करने के लिए उन्हें चिठ्ठी लिख कर पोस्ट करता था। फिर हमने सोचा कि क्यों न कोई ऐसी ब्लॉग साईट बनाई जाए, जहां आकर लोग हमसे चिठ्ठियां लिखने को कहें। ये शुरुआत हमने शौक के रूप में की थी, जो अब हमारा व्यवसाय बन गई है।”

साल 2015 में इन्होंने अपना ब्लॉग शुरू कि और उसमें लिखा कि अगर किसी को किसी भी प्रकार की चिठ्ठी लिखवानी हो तो हमें बताएं हम आपके बताये पते पर चिठ्ठी लिख कर भेजेंगे। करिब 3 हफ्ते में 140 रिक्वेस्ट आईं, कि आप किस भाषा में ख़त लिखते हैं, कितने दिन में ख़त पहुंचेगा तथा इसकी पेपर क्वालिटी कैसी होगी… आदि… आदि…। जब इन लोगों से जब अनुभव और उनकी टीम की बात हुई तो उनका मनोबल और बढ़ गया, कि आज इस व्हाट्सएप्प और सोशल मीडिया के बदलते दौर में भी लोगों में चिठ्ठी का अच्छा खासा क्रेज़ है। अनुभव कहते हैं, “यह देख कर हमे हिम्मत मिली और हमलोगों ने दिलचस्पी लेकर छह-सात महीने इस पर रिसर्च की।”

साल 2016 में इस टीम ने ने ‘द इंडियन हैंडरिटेन लेटर कॉर्पोरेशन’ के नाम से अपनी साईट की शुरुआत की। अनुभव बताते हैं कि “प्रतिदिन 100 रिक्वेस्ट में लगभग 70 रिक्वेस्ट प्रेम-पत्र के लिए ही होती हैं।” कई बार इनके पास ऐसी रिक्वेस्ट भी आती हैं, कि हमारी गर्लफ्रेंड के लिए ख़त लिख दो लेकिन हम उसका पता नहीं बता पाएंगे, ऐसे में उस ख़त को सही जगह पहुँचाने में अनुभव की टीम को खासा परेशानी उठानी पड़ती है।

अनुभव बताते हैं, कि अगर ग्राहक सिर्फ ये बताता है कि लेटर किस विषय पर लिखना है और किसे भेजना है तब वे 2.50 रूपये प्रति शब्दके हिसाब से चार्ज करते हैं, और यदि ग्राहक उन्हें कंटेंट लिखकर देता है, तो वे उसे 1 रूपये प्रति शब्द चार्ज करते हैं। क्योंकि डिजिटली कंटेंट को भी इन्हें मैनुअली ही लिखना पड़ता है। ये निजी खतों के अलावा कंपनियों द्वारा ग्राहकों को भेजने के लिए भी चिठ्ठियां लिखते हैं।

अनुभव का यह मानना है, कि यदि हमारी सोच पक्की और इरादे मजबूत हों तो हम किसी भी दिशा में आगे बढ़ने में सफल हो सकते हैं। सब से पहले हमें खुद पर भरोसा करना होगा और अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमें निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।

(साभार – योर स्टोरी)

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