अंतरराष्ट्रीय अदालत की एक सीट के लिए हो रहे चुनाव में भारत के न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी एक बार फिर चुन लिए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में मिले अभूतपूर्व समर्थन और ब्रिटेन की ओर से अपने उम्मीदवार का नाम वापस लिए जाने से उनकी जीत आसान हो गई। इस पद के लिए इससे पहले हुए 11 दौर के मतदान में कोई नतीजा नहीं निकला था। पर्यवेक्षकों का कहना है कि भंडारी की जीत से दुनिया की प्रमुख शक्तियों को बदलाव की नई बयार के बारे में कड़ा संकेत जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भंडारी को पिछले 11 दौर के मतदान में अभूतपूर्व समर्थन मिलने के बाद ब्रिटेन को अपने उम्मीदवार का नाम वापस लेने पर बाध्य होना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय अदालत के 71 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब उसके 15 सदस्यीय पीठ में एक भी ब्रिटिश नहीं है। देश के लिए बहुपक्षीय मंच पर सबसे बड़ी कूटनीतिक जीतों में से एक इस चुनाव के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा में भंडारी को 193 में से 183 वोट मिले। वहीं सुरक्षा परिषद में सभी 15 मत भारत के पक्ष में गए। इस चुनाव के लिए न्यूयॉर्क स्थित संगठन के मुख्यालय में अलग से मतदान करवाया गया था।
अंतरराष्ट्रीय अदालत के पांच में से चार न्यायाधीशों के चुनाव के बाद पांचवें न्यायाधीश के तौर पर पुन: निर्वाचन के लिए भारत के भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच बेहद कड़ा मुकाबला था। ब्रिटेन ने ग्रीनवुड की उम्मीदवारी आखिरी वक्त में वापस ले ली। इसके साथ ही 70 साल के भंडारी नौ साल के अगले कार्यकाल के लिए आइसीजे में निर्वाचित हो गए।