सरकार ने आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सशक्त कदम उठाया है। जाहिर है कि हर निर्णय की तरह इस निर्णय के भी इफेक्ट और साइड इफेक्ट हैं। फिलहाल साइड इफेक्ट तो आम आदमी पर पड़ रहा है और रोजमर्रा की जिंदगी थोड़ी मुश्किल हो रही है मगर इसका इफेक्ट या यूँ कहें कि इम्पैक्ट अच्छा ही होगा। बहुत बार विरोध सिर्फ विरोध के लिए होता है क्योंकि आप उस व्यक्ति को पसंद नहीं करते। इस मामले में भी काँग्रेस समेत अन्य दलों का विरोध भी कुछ ऐसा है। जब हम घर को नए सिरे से सजाते हैं तो तकलीफ होती है और यह तो पूरी अर्थव्यवस्था को फिर से सजाने जैसा है और इस फैसले के पीछे एक सटीक रणनीति है। परिवर्तन का परिणाम सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है मगर इस डर से बदलाव लाने की कोशिश ही न की जाए तो यह तो और भी गलत है। आप कतार में लगकर थक जाते हैं और अपनों की तकलीफ नहीं देखी जाती मगर आपको यह याद रखना चाहिए कि आपकी यह चिंता कुछ दिनों की है मगर यही बड़े नोट जब आतंकियों को ताकत देते हैं और सीमा पर हमारे जवान मारे जाते हैं तो उनके परिवारों के लिए यह जिंदगी भर का मातम होता है। सोशल मीडिया पर शहीदों को श्रद्धांजलि देना एक और बात है मगर बदलाव की प्रक्रिया में सक्रिय होकर हाथ बढ़ाना एक और बात है। आप फेसबुक पर सैनिकों का साथ देते हैं, बड़ी – बड़ी बातें करते हैं, आपको बदलाव चाहिए मगर बगैर किसी परेशानी के चाहिए, ये कैसे सम्भव है? लोग 15 लाख लाने की बातें करते हैं मगर ये काम सरकार को क्यों करना चाहिए? बगैर परिश्रम के आपके खाते में 15 लाख आते हैं तो यह क्या श्रम का अवमूल्यन नहीं है।
इस पाबंदी के बहाने कई गरीबों ने खाते खोले हैं। काला धन रखने वालों की मुश्किल यही है कि अब तक जिन नौकरों और कर्मचारियों को पैर की जूती समझते थे, अब उनसे ही जबरन मुस्कराकर अदब से बात करनी पड़ रही है। अमीरों को झुकना रास नहीं आ रहा है। कतार में लगना उनकी शान के खिलाफ है। ममता दीदी को अगर उधार लेकर मिठाई खरीदनी पड़ी तो उनको खीझ नहीं होनी चाहिए क्योंकि वो तो माँ, माटी और मानुष की बात करती हैं तो उनकी खीझ से यह मान लें कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है या फिर ये मान लें कि उनको ये चिंता सता रही है कि उनकी पेंटिंग कौन खरीदेगा और पार्टी फंड में पैसा कहाँ से आएगा? विरोधियों की चिंता का कारण भी यही है। इस पाबंदी का सामाजिक रूप से सकारात्मक पक्ष तो यही है कि ऊँच – नीच का फर्क कुछ दिन के लिए ही सही कम होगा। आयकर की नजर होगी तो काले को सफेद बनाने के लिए जो भव्य धार्मिक प्रवचन होते हैं, उन पर लगाम लगेगी और इन पर लगाम लगने का मतलब बहुत हद तक अंधविश्वास और आसाराम बापुओं जैसों की कमाई पर लगाम लगना है। बैंक घाटे में चल रहे हैं और अब जिस तरह उन पर नोटों की बरसात हो रही है, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि बैंकों की स्थिति सुधरेगी और सरकार पर निर्भर होना कम होगा। अचानक सोने की माँग बढ़ रही है और साल में दूसरा धनतेरस मनाया जा रहा है। मंदिरों में बेकार नोट चढ़ाए जा रहे हैं। जिन्होंने रेलवे स्टेशन का चेहरा अरसे से नहीं देखा, अब वे रेलवे में टिकट आरक्षित करवा रहे हैं कि एक दिन में टिकटों की बिक्री 25 प्रतिशत बढ़ जाती है। एयरलाइंसों के अग्रिम टिकट खरीदे जा रहे हैं तो इसके सहारे सरकार भी ऐसे लोगों तक पहुँच रही है। पहली बात यह अचानक लिया गया निर्णय नहीं है क्योंकि इसकी तैयारी लगभग साल भर पहले से हो रही थी। जो लोग निजी अस्पतालों में प्रतिबंधित नोटों को स्वीकारने की बात कर रहे हैं, उनको ये नहीं भूलना चाहिए कि ये अस्पताल वही कॉरपोरेट सेक्टर चलाता है जिनकी काली कमाई भरपूर है और टेबल के नीचे लेन – देन होते हैं। जानकारी देने का मतलब उनको सजग कर देना औऱ ऐसा होता तो इस मुहिम का ही कोई मतलब नहीं रह जाता। यही बात बैंकों पर भी लागू होती है क्योंकि बहुत से बैंक अपने ग्राहकों का काला धन सफेद करने में मददगार साबित हो सकते थे और अधिकतर निजी क्षेत्र के बैंकों में भी काली कमाई होने का अंदेशा है। विजय माल्या जैसे अरबपतियों की काली कमाई बेकार होगी। ऐसे लोग अगर बैंक जाते हैं तो भी कर चोरी के आरोप में जो 200 प्रतिशत राजस्व कर लगेगा, उससे सरकार की भी कमाई होगी। रिश्वत और भ्रष्टाचार, अनुदान या डोनेशन या फिर आतंकी कारर्वाई का साधन बड़े नोट ही हैं, इन पर भी प्रहार होगा। कॉरपोरेट कम्पनियों के कर्मचारी बैंकिंग प्रक्रिया से जोड़े जाएंगे क्योंकि कम्पनियाँ अब नोटों के झमेले में नहीं पड़ना चाहेंगी। यह दल से ऊपर उठकर लिया गया फैसला है तो भाजपा के फंड पर भी असर पड़ना तय है तो यकीन मानिए कि छुपे तौर पर पीएम साहेब को तो उनकी पार्टी से ही गालियाँ पड़ रही होंगी। जरा सोचिए, कि कितने साल बाद आपने गुल्लक की शक्ल देखी और बचपन की आदत आपके काम आ रही है। अभिभावकों को यही सीख बच्चों को देने की जरूरत है। हाथ खोलकर बेकार के खर्चों से आप दूर हैं तो यह आपकी आदत सुधारेगा। न चाहते हुए भी अब आप प्लास्टिक मनी युग में प्रवेश कर रहे हैं। जो नए नोट आ रहे हैं, उनमें चिप भले न हो मगर आप पर नजर रखने का उसमें पूरा इंतजाम है। यह निर्णय उच्च मध्यवर्ग के अहं पर चोट करने वाला निर्णय है और यह पाबंदी अर्थव्यवस्था के साथ ही हमारी आदतों को सुधारने जा रही है तो जरा सब्र रखिए और परिर्वतन की प्रक्रिया से जुड़कर देखिए।
500, 1000 के नोट बंद होने के बाद अब क्या होगा? जानिए ऐसे 25 सवालों के जवाब
केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के मौजूदा नोटों का चलन बंद करने का ऐलान कर दिया है। इनकी जगह पर अब 500 और 2000 के नए नोट आएंगे. 500 और 1000 के पुराने नोट आधी रात से अवैध हो जाएंगे। इन्हें बैंकों या डाकघरों में जमा किया जा सकता है. इसके लिए 50 दिनों की समयसीमा तय की गई है। सरकार के इस फैसले को लेकर लोगों के मन में तमाम सवाल उठ रहे हैं. ऐसे सवालों के जवाब हाजिर हैं।
प्र. इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
उ. जाली नोटों की खेप में अधिकतर बड़े नोट हैं. एक आम आदमी के लिए जाली नोटों की पहचान कर पाना मुश्किल होता है क्योंकि ये असली नोट की तरह ही दिखते हैं जबकि सिक्योरिटी फीचर भी कॉपी नहीं किए होते हैं। जाली नोटों का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों में होता है। बड़े नोट आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं और ब्लैक मनी छुपाकर रखने के काम आते हैं। भारत की इकोनॉमी कैश आधारित है, ऐसे में जाली नोटों का चलन एक बड़ी समस्या बना हुआ है। जाली नोटों के चलन और ब्लैक मनी की जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए यह योजना शुरू की गई ह
प्र. क्या है यह योजना?
उ. 500 और 1000 रुपये के मौजूदा नोटों का चलन बंद कर दिया गया है। इन नोटों का इस्तेमाल किसी बिजनेस ट्रांजैक्शन और/या किसी दुकान पर नहीं हो पाएगा। इन नोटों को रिजर्व बैंक के 19 दफ्तरों में से किसी में या किसी बैंक की शाखा, किसी पोस्ट ऑफिस में नए नोटों से बदला जा सकता है
प्र. नोटों को बदलने परकीमत क्या मिलेगी?
आपको बैंक की शाखाओं या आरबीआई दफ्तरों में इन नोटों की पूरी कीमत मिलेगी।
प्र. क्या यह मुझे कैश में मिलेगा?
उ. नहीं, आपको प्रति व्यक्ति 4000 रुपये तक कैश मिलेगा. चाहे आपके पास कितना भी पैसा क्यों न हो।
प्र. मैं सारा कैश लेकर आया हूं तो पूरी रकम क्यों नहीं मिल सकती?
उ. बड़े नोट वापस लिए जाने की योजना में इसकी सुविधा नहीं है
प्र. 4000 रुपये से मेरा काम चल जाएगा. मैं क्या करूं?
उ. आप अपनी दूसरी जरूरतों के लिए चेक या इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट जैसे इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट, आईएमपीएस, क्रेडिट/डेबिट कार्ड्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्र. मेरे पास कोई बैंक खाता नहीं है तो क्या करूं?
उ. आप जरूरी कागजातों के साथ बैंक की शाखा में संपर्क कर कभी भी खाता खुलवा सकते हैं।
प्र. मेरे पास केवल जनधन योजना अकाउंट है तो क्या करूं?
उ.जनधन अकाउंट खाताधारक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए पैसे बदलने की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
प्र. मैं अपने नोट कहां बदल सकता हूं?
नोट बदलने की सुविधा रिजर्व बैंक के सभी दफ्तरों, बैंकों की शाखाओं या किसी पोस्ट ऑफिस में उपलब्ध है।
प्र. क्या मुझे बैंक जाने की जरूरत है?
उ. 4000 तक का कैश बदलने के लिए आप पहचान पत्र के साथ किसी बैंक की शाखा में जा सकते हैं। 4000 से ज्यादा के एक्सचेंज के लिए जो केवल बैंक खाते में जमा होंगे, आप उस ब्रांच में जा सकते हैं जहां आपका खाता है या उस बैंक की किसी ब्रांच में जा सकते हैं।अगर आप किसी दूसरे बैंक की ब्रांच में जाना चाहते हैं जहां आपका खाता नहीं है, तो आपको अपने साथ एक वैध पहचान पत्र रखना होगा और आपके अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर के लिए बैंक अकाउंट के डिटेल देने होंगे
प्र. क्या मैं अपने बैंक की किसी शाखा में जा सकता हूं?
उ. हां
अचानक नहीं लिया गया 500-1000 के नोट को बंद करने का फैसला
केंद्र सरकार ने कहा है कि काले धन पर शिकंजा कसने के लिए यह फैसला अचानक नहीं लिया गया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि इस मुहिम के लिए पिछले छह माह से तैयारी चल रही थी, लेकिन इसको पूरी तरह गोपनीय रखा गया।
पिछले दो माह में दो हजार रुपये के बड़ी संख्या में नोट बैंकों में पहुंचाए गए थे, लेकिन ये किस प्रकार के नोट हैं, उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई। प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि हमने 500 और हजार के पुराने नोट के बदले में 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी करने के लिए पर्याप्त संख्या में नए नोटों की छपाई की है। मैसूर में कई माह से इसकी छपाई हो रही थी।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि काले धन के खिलाफ पहले भी तमाम कदम उठाए गए हैं। लेकिन जाली नोट के कारण मुद्रास्फीति और देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा था। लिहाजा यह बड़ा फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास में बढ़ोतरी और बड़े नोटों की संख्या के बीच अंतर बताता है कि बड़ी रकम काला धन छिपाने में इसका इस्तेमाल किया जा रहा था। उन्होंने साफ किया कि बड़े नोटों के आंकड़ों के साथ बताया कि काले धन का आकार तेजी से बढ़ रहा था, ऐसे में कड़े कदम की जरूरत थी।
काले धन के जमाखोरों का साथ न दें
दास ने आम नागरिकों से अपील की कि वे किसी काले धन के जमाखोरों के हाथों में न खेलें। उन्होंने कहा कि कोई भी नागरिक काले धन के जमाखोरों से ऐसा धन लेकर अपने खातों में जमा न करें। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इलेक्ट्रानिक लेनदेन में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। बैंकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जिससे पता चल सके कि कौन किसके लिए रकम बैंक में जमा कर रहा है।
रिजर्व बैंक ने कंट्रोल रूम बनाया
दो दिन सरकारी संस्थान, बैंक-डाकघर, अस्पताल, पेट्रोल पंप आदि, 500 से 100 नोट स्वीकार करेंगे, ताकि आम आदमी को कोई परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि लोगों को 500-1000 रुपये के नोट बदलने के लिए 50 दिन का समय दिया है, लिहाजा घबड़ाने की कोई जरूरत न हो। रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय में इसके लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। राज्य सरकारों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशकों को इस बदलाव के लिए जरूरी कदम उठाने को कहागया है।
एसआईटी ने सरकार के कदम का स्वागत किया
एसआईटी चेयरमैन जस्टिस एमबी शाह ने सरकार के कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने काला धन घोषित करने की सरकार को योजना का लाभ नहीं उठाया, अब उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। गैर कानूनी धन की बढ़ती समस्या को देखते हुए ऐसा कदम उठाना जरूरी था।
दो हजार के नोट में मंगलयान की तस्वीर
दो हजार रुपये का नया नोट गुलाबी और सफेद रंग का है। इसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ मंगलयान की फोटो भी है, जो विज्ञान की प्रगति का प्रतीक है। जबकि 500 रुपये का नोट हरे मटमैले रंग का है, इसमें महात्मा गांधी के साथ लालकिले की तस्वीर है।
पांच साल में बड़े नोट बेतहाशा बढ़े
40 प्रतिशत छोटे से बड़े नोट बढ़े
76 प्रतिशत 500 के नोट
109 प्रतिशत 1000 के नोट
30 प्रतिशत बड़ी अर्थव्यवस्था
(सरकार ने दिए आंकड़े)
दो हजार रुपए का नया करेंसी नोट
दो हजार रुपए का नया करेंसी नोट मैजेंटा (गहरा गुलाबी) रंग का होगा। इसमें महात्मा गांधी की नई सीरीज वाली फोटो होगी।
– नए नोट में किसी तरह का कोई लेटर नहीं होगा। इसके अलावा, इसमें आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल के सिग्नेचर होंगे।
– नोट के पीछे की तरफ इसका प्रिंटिंग ईयर ‘2016’ पब्लिश होगा। वहीं, पीछे की ओर मंगलयान की फोटो होगी। नोट के आगे और पीछे का डिजाइन जियोमेट्रिक पैटर्न कलर के हिसाब से होगा।
(इनपुट साभार – दैनिक भास्कर व आज तक)