नयी दिल्ली : एक पैर के सहारे दुनिया की छह प्रमुख पर्वत चोटियों पर तिरंगा लहराकर विश्व कीर्तिमान स्थापित कर चुकी भारत की महिला पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा ने एक अपने नाम एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज कर ली है। उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में शामिल अंटार्कटिका के ‘विन्सन मैसिफ़’ हिल पर भी तिरंगा फहराने में कामयाबी हासिल कर ली है। अरुणिमा को अंटार्कटिका का सवोर्च्च शिखर फतह करने पर बधाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी। प्रधानमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘अरुणिमा सिन्हा को सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंचने के लिए बधाई। वह भारत का गर्व हैं, जिसने अपनी मेहनत व लगन से खुद की पहचान बनाई है। उन्हें भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।’
दुनिया भर की सात सबसे ऊंची पर्वत चोटियों को कर चुकी हैं फतह
गौरतलब है कि अरुणिमा माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला हैं। उन्होंने अपनी हालिया सफलता को लेकर ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को टैग किया था। अरुणिमा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘इंतजार खत्म हुआ, मुझे आपके साथ यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि माउंट विन्सन (अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी ) पर चढ़ाई करने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला का विश्व रिकॉर्ड हमारे देश के नाम पर हो गया है। सभी के आशीवार्द व प्रार्थना के लिए आभार, जय हिंद।’ कृत्रिम पैर के सहारे एवरेस्ट (एशिया) फतह करने वाली दुनिया की एकमात्र महिला अरुणिमा अब तक किलीमंजारो (अफ्रीका), एल्ब्रूस (रूस), कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया), किजाश्को (ऑस्ट्रेलिया) और माउंट अंककागुआ (दक्षिण अमेरिका) पर्वत चोटियों को फतह कर चुकी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणिमा को तिरंगा देकर किया था विदा
‘विन्सन मैसिफ़’ पर चढ़ाई से पहले अरुणिमा सिन्हा ने राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री ने उन्हें अंटार्कटिका के सर्वोच्च शिखर पर लहराने के लिए तिरंगा देकर विदा किया और कामयाबी के लिए आशीर्वाद व शुभकामनाएं दीं थीं। अपनी आखिरी मंजिल की तरफ बढ़ने से पहले उन्होंने अपने आलोचकों का शुक्रिया अदा किया था। उन्होंने कहा था कि मैंने जब एवरेस्ट पर फतह की थी तब दोनों हाथ उठाकर जोर से चिल्लाना चाहती थी। मुझे पागल, विकलांग कहने वालों से कहना चाहती थी कि देखो मैंने कर दिखाया। गौरतलब है कि अरुणिमा सिन्हा वॉलीबॉल की खिलाड़ी थीं। अप्रैल, 2011 में लखनऊ से नई दिल्ली के सफर में कुछ बदमाशों ने उन्हें चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था। दुर्घटना में उन्होंने अपनी एक टांग गंवा दी। अरुणिमा को उनकी उपलब्धियों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें ब्रिटेन की एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया है।