सुबाशिनी संकरन – देश की पहली महिला आईपीएस, जिनके जिम्मे है मुख्यमंत्री की सुरक्षा!

सुबाशिनी संकरन देश की पहली महिली IPS अधिकारी हैं, जिन्हें आजाद भारत में किसी मुख्यमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है। इस वर्ष के जुलाई महीने में सुबाशिनी ने यह जिम्मेदारी संभाली।

सुबाशिनी को असम के मुख्यमंत्री, श्री सर्बनान्दा सोनोवाल की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है।

सुबाशिनी ने बताया, “शुरुआत में तो लोगो के लिए ये बिलकुल नयी बात थी। पर धीरे धीरे लोग इस बात के आदि हो गए कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एक महिला पर है।”

किसी भी मुख्यमंत्री की सुरक्षा का काम बेहद पेचीदा होता है। इसमें श्रम के साथ-साथ तीव्र बुद्धि की भी आव्यशकता होती है। सुबाशिनी को भी अपने काम में हमेशा सतर्क रहना होता है। दिन के करीब 18 घंटे वे अपने काम में व्यस्त होती है। मुख्यमंत्री के दौरों के दौरान उनके पुरे सफ़र के हर पल की जानकारी रखना, अन्य सुरक्षा कर्मियों से हर वक़्त संपर्क में रहना और उन्हें समय समय पर उपयुक्त हिदायतें देना; ये सब उनके काम का हिस्सा है।

तमिलनाडु के तंजावुर शहर की रहने वाली सुबाशिनी एक मध्यम  वर्गीय परिवार से है। इससे पहले उनके परिवार से किसी ने भी इस क्षेत्र में कदम नहीं रखा था। सुबाशिनी के पिता एक निजी फर्म में काम करते हैं और उनकी माँ एक गृहणी है। उनके दादा एम. राजगोपालन ने 1950 में ‘मोटर इंडिया’ और ‘टेक्सटाइल मैगजीन’ के नाम से दो पत्रिकाएं शुरू की थीं, जो आज भी प्रकाशित होती हैं। 1980 में सुबाशिनी के घरवाले मुबंई आ गए थे और फिर उनकी पढाई मुंबई में ही हुई। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, दिल्ली से अपने मास्टर्स और एमफिल की पढाई पूरी की। जेएनयू में रहकर ही उन्होंने IPS की तैयारी भी की।

हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पुलिस अकैडमी में IPS के प्रशिक्षण के बाद सुबाशिनी की पोस्टिंग उनकी इच्छा के मुताबिक़ असम में कर दी गयी।

असम बेहद चुनौती भरा राज्य है। क़ानूनी गैरव्यवस्था, अपराधियों के साथ जवाबी कार्रवाई, सांप्रदायिक तनाव, स्मगलिंग, जानवरों का अवैध शिकार और ड्रग्स; असम इन सभी गंभीर मसलो से जूझ रहा है।

ऐसी विलक्षण परिस्थितियों में, इतने खतरनाक परिवेश में मुख्यमंत्री की हर प्रकार से सुरक्षा करना बहुत जोखिम भरा काम है। पर सुबाशिनी इससे पहले गुवाहाटी के अजारा पुलिस चौकी में असिस्टेंट सुपरिंटेन्डेंट ऑफ़ पुलिस और उसके बाद बिस्वनाथ जिले और सिलचर तथा तेजपुर जिले में एडिशनल सुपरिंटेन्डेंट के तौर पर काम कर चुकी है। उनके इन अनुभवों की वजह से उन्हें अपने वर्तमान काम में काफी आसानी हो रही है।

इसके अलावा चार साल से असम में रहकर उन्होंने असामी भाषा भी बोलनी सीख ली है, जो उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ है।

यदि आप उनसे उनके अनुभवों का निचोड़ पूछे तो वे कहती है, “जब ज़रूरत हो तभी बोलो, और जब ज़रूरत हो सख्त कार्यवाही करो… हाँ पर कानून में रहते हुए।”

अपने अदम्य साहस और जी तोड़ मेहनत से यहाँ तक पहुंची सुबाशिनी देश की सभी लड़कियों के लिए एक मिसाल है!

 

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