साहित्यिकी द्वारा ‘ रेंगती परछाइयाँ ‘ पर परिसंवाद का आयोजन

कोलकाता -‘ साहित्यिकी ‘ के तत्वावधान में हाल ही में भारतीय भाषा परिषद् के सभागार में महानगर की ही प्रतिष्ठित नाट्य -संस्था ‘ लिटिल थेस्पियन ‘ से जुड़ी उमा झुनझुनवाला के नाटक ‘ रेंगती परछाइयाँ ‘ पर परिसंवाद का सफल आयोजन किया गया । सर्वप्रथम ‘ साहित्यिकी ‘ की सचिव गीता दूबे ने संस्था की विविध गतिविधियों का परिचय देते हुए यह रेखांकित किया कि लगभग ५० महिलाओं द्वारा परिचालित यह संस्था सन् १९९८ से सामाजिक , साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के हित में कार्यरत है । अज़हर आलम द्वारा निर्देशित इस नाटक की कुछ महत्वपूर्ण झलकियों के पर्दे पर प्रदर्शन ने परिसंवाद के लिये  अनुकूल पृष्ठभूमि तैयार की । ‘ साहित्यिकी ‘ की ओर से वक्तव्य देते हुए रेवा जाजोदिया ने कहा कि इस  नाटक में रचनाकार ने बड़ी कुशलता से , बिना श्लीलता  का अतिक्रमण किए , स्त्री हृदय की उन नितान्त अन्दरूनी  और गूढ़ पर्त्तों को खोला है , जो देह-विज्ञान और मनोविज्ञान की युति है , जिन्हें स्त्री महसूस तो करती है , पर ख़ुद से भी साझा नहीं करती ।’हंस ‘ पत्रिका के संपादक संजय सहाय ने कहा कि यह नाट्य-कृति थियेटर ऑफ़ एब्सर्ड है , जो बहुत सारे सवाल छोड़ जाती है , जिनका उत्तर खोज पाना संभव नहीं।’ साहित्यिकी ‘ की महिलाओं द्वारा किए जा रहे कार्य को उन्होंने क्रान्तिकारी बताया । नाटक के निर्देशक अज़हर आलम ने बताया कि सधे एवं प्रवाहपूर्ण  संवादों में लिखे गए इस नाटक का प्लॉट पेचीदा नहीं है और पिछले दस-बारह वर्षों में कोलकाता में लिखा गया यह महत्वपूर्ण मौलिक नाटक है । नाट्य-लेखिका उमा झुनझुनवाला ने संवाद – सत्र में यह बताया कि नाटक का अंत स्त्री -आक्रोश का संश्लेष है और पितृसत्तात्मक समाज की यह विडम्बना है कि अक्सर स्त्रियाँ पुरूषों की भाषा ही समझती हैं । संवाद-सत्र में भागीदारी करते हुए कुसुम जैन ने इस नाटक को काफ्का के साहित्य की तरह सामाजिक घावों को कुरेदने वाला तथा वाणीश्री बाजोरिया ने इसे निम्न -मध्यवर्गीय स्त्री की घनीभूत पीड़ा का विस्फोट बताया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए किरण सिपानी ने कहा कि हर साहित्य-प्रेमी पाठक को ‘ हंस ‘ पत्रिका की प्रतीक्षा रहती है ।उमाजी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर  प्रकाश डालते हुए कहा कि इस नाटक में स्त्री जज़्बातों और अरमानों की परछाइयाँ रेंगतीं दिखाई देती हैँ । कार्यक्रम का संचालन करते हुए पूनम पाठक ने ‘ लिटिल थेस्पियन ‘ के अवदान और उपलब्धियों का उल्लेख किया । संस्था की निदेशक विद्या भंडारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।

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