समय के साथ संगीत बदल जाएगा: गुलजार

प्रख्यात गीतकार-फिल्मकारर गुलजार का मानना है कि समय के साथ बदलते फिल्मी संगीत में कुछ भी गलत नहीं है और व्यक्ति को इसे अपनाना चाहिए और इसे आत्मसात करना सीखना चाहिए।

उनका कहना है कि किसी फिल्म में किरदार के मिजाज के मुताबिक गाने लिखे जाते हैं और इन गानों की तुलना 50 और 60 के दशक के गानों से करना अनुचित है।
उन्होंने कहा, ‘‘ गाने उस फिल्म के मुताबिक होंगे। यदि कोई किरदार शराब के नशे वाला कोई गाना गाना चाहता है तो वह ‘दिल ए नादान.’ नहीं गाएगा, बल्कि ‘गोली मार भेजे में’ गाना गाएगा। किरदारों के मुताबिक भाषा बदलती है।’’ गुलजार ने कहा, ‘‘ समय बदलेगा और संगीत भी। हमारी रफ्तार बदली है, कपड़े बदले हैं, खाने की आदतें बदली हैं तो संगीत जस का तस क्यों रहना चाहिए? वह भी बदलेगा।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।