राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के अस्थि कलश अब भी मथुरा के राजकीय संग्रहालय में रखे हुए हैं, लेकिन इनके दर्शन यहां आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग नहीं कर पा रहे हैं। ये संग्रहालय के गोदाम में रखे हुए हैं। दरअसल, दोनों महापुरुषों की अस्थियां यहां यमुना में प्रवाहित की गई थीं।
ये अस्थि कलश संग्रहालय में इसलिए रखे गए थे कि यहां आने वाले पर्यटक इन महान विभूतियों से जुड़ी स्मृतियां संजो सकें और कलशों को देख सकें। संग्रहालय प्रशासन इन्हें महज कलश ही समझता रहा। यही वजह है कि इन्हें गोदाम में कैद करके रखा है। राष्ट्रपिता का अस्थि कलश 12 फरवरी 1948 को आया था। इसे तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास रखा गया था।
वर्ष 1970 में इसे संग्रहालय में रखा गया, जबकि शास्त्री का अस्थि कलश 1966 में आया था। संग्रहालय के निदेशक डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि गांधीजी, शास्त्रीजी की अस्थियां यमुना में प्रवाहित की गईं थीं, इसके बाद खाली अस्थि कलश संग्रहालय में रख दिए गए। सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें अभी गैलरी में नहीं रखा जा सकता, इसलिए ये गोदाम में रखे हुए हैं।
इनके लिए अलग से गैलरी तैयार की जा रही है। इनको अब सामने लाया गया है। गौरतलब है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का अस्थि कलश भी संग्रहालय में रखा है। यह 12 जून 1964 में संग्रहालय में रखा गया था।