कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।
बस पत्थर तो उछाला जा चुका है और आसमां में भी एक दिन सुराख कर दिया जाएगा। आसमान की कालिख को जरा सा हल्का कर करके उसे नीला कर दिया जाएगा और ये आसमान है हमारे साहित्य का, संस्कृति का और हमारी उम्मीदों का। आसमान में सुराख करने के लिए ये पत्थर नीलांबर ने उछाला है। दु:स्साहस है यह….बगैर किसी भारी – भरकम अनुदान के, बगैर किसी सरकारी प्रश्रय के कुछ युवाओं और मुट्ठी भर लोगों ने यह दु:स्साहस कर डाला….वो भी बगैर किसी अकादमिक संस्थान की जी –हजूरी किए…बगैर किसी भारी – भरकम संस्था का चक्कर काटे….? मगर परवाह किसे है। साहित्य को नये सिरे से परिभाषित करते उसे तकनीक और आधुनिकता से जोड़ देना और कवियों का परिचय किसी सेलिब्रिटी की तरह देना और हिन्दी के कवियों को सेलिब्रिटी की तरह पेश करना हिमाकत ही तो है मगर नीलांबर ने जड़ता की ताबूत में एक कील ठोक दी है…..मठाधीशों…..जो उखाड़ना है, उखाड़ लो….हम तो बढ़ेंगे।
छोटे – छोटे कार्यक्रम करते हुए कभी कविता की साँझ को लाल किया तो कभी कहानियाँ कह डालीं और कभी कविताओं का कोलाज बना डाला और बीच मैदान में बैठकर कविता पाठ करवा दिया….हद है…बड़े कवि कभी इस तरह कविता पढ़ते हैं….क्या समझ रखा है…उफ…मगर ये क्या? राह चलते लोग खड़े हो गये… अंत तक सुनते रहे….और संशोधन भी करते रहे…ये क्या कर रहे हो भाई…कविता को आम आदमी तक पहुँचा रहे हो…अरे….उसे कैद करने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं और तुम हो कि फेसबुक पर फैज…को ला दे रहे हो…। नीलांबर! ये हिमाकत है….लो एक और हिमाकत कर डाली….अरे….इसे तो लाइक पर लाइक मिल रहे हैं…कारवां है कि रुकने का नाम नहीं ले रहा है……लो अब तो हम चार दिन की ताजा हिमाकत करेंगे….। तो लीजिए नीलांबर साहित्य और संस्कृति की दुनिया में अंगद के पैर की तरह जमने के लिए तैयार हो गया है…..इस बार नीलांबर कोलकाता, पेश कर रहा है……लिटरेरिया कोलकाता 2017…….।
12 अक्टूबर को होगा उद्घाटन और 15 अक्टूबर तक साहित्य और संस्कृति के जगमगाते सितारों से सजेगा .शहर…शारदोत्सव के बाद लिटरेरिया उत्सव 2017।अगर प्रोफेसरों के धरने और शिक्षकों की धमकियों से कान पक गए हों तो भारतीय भाषा परिषद में 12 अक्टूबर को समालोचना पर्व में आ जाना…नन्ही आहना अपना नृत्य प्रस्तुत करेंगी…इसके बाद होगा समालोचना पर्व….जिसकी अध्यक्षता करेंगे डॉ. शम्भुनाथ….हम दावा करते हैं….एक बार सुन लिया इनको तो गुस्सा गुलाब जल बन जाएगा…और अपनी कुर्सियों से हिलोगे नहीं। इसके बाद पंकज चतुर्वेदी, आशीष त्रिपाठी, वेदरमण, राहुल सिंह भी हैं और संयोजक हैं संजय राय…अरे वही जिनकी मारक कविताएँ तुम सुनते ही रहते हो।
चार दिनों के इस मेधा सारस्वत उत्सव में देश भर से साहित्यकार आ रहे हैं…कुछ युवा तो कुछ वरिष्ठ और कुछ अपनी कविताओं से तुम्हारी नाक में दम कर जड़ता को चरमरा देने वाली महिलाएँ….भी। एक राष्ट्रीय संगोष्ठी….नाटक और कहानी भी…..एकदम साहित्यिक…..मोबाइल पर प्रोफाइल फोटो अपलोड करते –करते थक गए हो…बसों में कंडक्टर खुदरा नहीं देता और उसका सिर फोड़ने को जी चाहे तो ऐसा मत करना, बस 13 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से आ जाना शरत सदन….एकदम टकाटक कविताएँ सुनने को मिलेंगी….इतनी टकाटक कि भूल जाओगे कि मल्टीप्लेक्स में जाकर एक सड़ी हुई फिल्म देखकर पैसे गंवा आए हो….एकदम ताजा जैसे पसीने से गंधाती बस एसी के नीचे आ गयी हो….बस आ जाना…दिल खुश हो जाएगा…।
वन डे खेला है….या देखा है तो…ये कविता का वन डे है और खिलाड़ी इतने हैं कि नाम लिखते – लिखते ही हाथ थक जाए तो इनके नाम इनकी शक्ल के साथ देख लो…तबीयत हरी हो जाएगी। संयोजक अपने ही शहर की निर्मला तोदी और आनंद गुप्ता हैं। अरे, वही आनंद जो दिखते ही सीरियस हैं मगर हैं नहीं…अच्छा लगेगा….पक्का। 13 अक्टूबर को ही कोलाज, माइम, और एक रोज नाटक भी है और ये सब है हावड़ा मैदान के शरत सदन में।
14 अक्टूबर को गोर्की सदन में शाम 4 बजे एक साँझ कहानी की होगी और कहानीकार चंदना राग तथा चंदन पांडेय कहानी पाठ करेंगे। इसके बाद शाम 5.30 बजे भोपाल के विहान ड्रामा वर्क्र्स का नाटक हास्यचूड़ामणि होगा।
15 अक्टूबर रविवार है, छुट्टी रहेगी…आ जाइए शरत सदन में शाम 4 बजे रश्मि बंद्योपाध्याय का नृत्य, सुशांत दास का अ टेल ऑफ फिश नामक माइम देखने।
अमृता प्रीतम की रचना पर बना पिंजर देखा है तो अब उनकी जिन्दगी और आत्मकथा रसीदी टिकट पर आधारित नाटक अमृता देखना न भूलना जिसे भोपाल का विहान ड्रामा वर्क्स पेश करेगा। हाल ही में रंगकर्मी रवि दवे जी का देहांत हो गया। उन्होंने कई नाटकों का निर्देशन किया है,जैसे गोदान, हानूष। नाटकों के लिए उनके समर्पण और इस क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए नीलांबर कोलकाता उनकी स्मृति में ‘रवि दवे स्मृति सम्मान’ की घोषणा करता है।
वर्ष 2017 का यह सम्मान कोलकाता की ‘लिटिल थेस्पियन’ संस्थान को दिया जाएगा। इस संस्था ने कोलकाता में हिन्दी रंगमंच को नई पहचान दी! यह सम्मान समारोह 15 अक्टूबर 2017 को शरत सदन में होगा! 4 दिन तक एकदम कविता, कहानी, माइम, कोलाज और नाटक….और क्या चाहिए…और ये सब कर रहा है नीलाबंर।
तो नीलांबर के लिए एक बड़ा सा शुक्रिया तो बनता ही है….तो अपराजिता की तरफ से नीलांबर की पूरी टीम को ढेर सारी शुभकामनाएँ….हिमाकत करते चलिए…..आसमान नीला करते रहिए…आसमान नीला ही अच्छा लगता है और उसकी कालिख को बस धोना बन्द न करना…..बढ़े चलो साथियों….हम सब साथ हैं….
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।