नई दिल्ली – रेल से यात्रा करने वाली कई महिलाओं ने महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी से यह शिकायत की है कि रेलवे स्टेशनों में ब्रेस्टफीडिंग यानि स्तनपान के लिए कोई अलग जगह न होने की वजह से उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ा है। कुछ महिलाओं ने लिखा कि उन्हें असहज स्थिति से गुजरना पड़ता है या बच्चे भूखे रह जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया की एक सीनेटर के सदन में बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने की खबर के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने मेनका गांधी को लिखा और रेलवे स्टेशनों में अलग रूम के इंतजाम की मांग की।
मेनका गांधी ने अब रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है,’महिलाओं का कहना है कि वह रेलवे स्टेशन में ट्रेन का इंतजार करते हुए अपने बच्चों को दूध नहीं पिला पाती या कपड़े चेंज नहीं कर पातीं क्योंकि ऐसा कोई कमरा या नर्सिंग प्लैटफॉर्म नहीं है।’ पत्र में लिखा है कि मैंने सिविल एविएशन मिनिस्टर को भी कहा था और उन्होंने यह कन्फर्म किया है कि नर्सिंग रूम हर एयरपोर्ट पर हैं।
मेनका ने लिखा है कि सरकार रेलवे स्टेशनों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने का काम कर रही है तो हमें महिला यात्रियों की इस बेहद अहम जरूरत को भी पूरा करना चाहिए। पत्र में यह भी लिखा है कि हर स्टेशन में महिलाओं के लिए एक अलग से वेटिंग रूम होना चाहिए जिसके एंट्रेस पर सीसीटीवी कैमरा लगा हो। कई महिलाओं ने शिकायत की कि छोटे स्टेशनों पर अलग वेटिंग रूम नहीं है और जहां है भी तो वह बंद रहता है। मेनका ने लिखा है कि भले ही छोटा सा रूम हो लेकिन अलग रूम होने से अकेले ट्रैवल कर ही महिलाओं की दिक्कत दूर होगी।
मेनका के मुताबिक कई महिलाओं को रात में सफर करना होता है और वह तड़के स्टेशन पहुंचती हैं और आगे सफर करने से बेहतर रेलवे स्टेशन पर इंतजार करने को सुरक्षित मानती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए एक सुरक्षित रूम बेहद जरुरी है। एंट्रेस में सीसीटीवी होने से महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी। रेल मंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि रेलवे स्टेशनों में महिलाओं के लिए अलग से टॉइलट भी बेहद जरूरी है। यह वेटिंग रूम से जुड़ा होना चाहिए।
कई महिलाओं ने शिकायत की है कि कई जगह महिला शौचालय इस्तेमाल लायक नहीं है जिससे महिलाओं को बहुत ही असहज स्थिति से गुजरता पड़ता है क्योंकि उनके पास दूसरे ऑप्शन नहीं हैं जो दुर्भाग्य से पुरुषों के पास हैं। पत्र में आगे लिखा है कि हर रेलवे स्टेशनों में प्लैटफॉर्म पर कोई न कोई अधिकारी रहता है। यह अहम है कि इन अधिकारियों में कम से कम एक महिला हो जिससे मुश्किल वक्त में महिला यात्री इन महिला अधिकारियों से संपर्क कर सकें। मेनका ने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया कि 24 घंटे हर रेलवे स्टेशन पर एक महिला अधिकारी का होना बहुत आसान नहीं है लेकिन धीरे धीरे इसे अचीव किया जा सकता है।