नयी दिल्ली : केन्द्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष में देश में व्यस्ततम समय के इतर बिजली की उपलब्धता 4.6% अधिक और व्यस्त समय में 2.5% अधिक रहने का अनुमान है। इस प्रकार चालू वित्त वर्ष में भारत एक बिजली अधिशेष वाला राज्य होगा।
पिछले साल सीईए ने अपनी भार और उत्पादन में संतूलन संबंधी रपट (एलजीबीआर) में अनुमान जताया था कि 2017-18 में भारत एक बिजली अधिशेष वाला राज्य होगा। लेकिन इस दौरान पूरे देश में अधिक व्यस्त समय बिजली की आपूर्ति में 2.1% की कमी और बाकी समय में 0.7% की कमी देखी गई।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में अधिक मांग के समय बिजली आपूर्ति में कमी 0.7% जबकि सामान्य समय में कमी 0.6% रही ।
वित्त वर्ष 2018-19 की एलजीबीआर के मुताबिक बिजली आपूर्ति की अखिल भारतीय स्थिति से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खपत की दृष्टि से सबसे व्यस्त अवधि में बिजली का अधिशेष 2.5% और सामान्य समय में अधिशेष 4.6% रहेगा। इस प्रकार इस वित्त वर्ष में भारत एक बिजली अधिशेष राज्य रहेगा। बिजली विशेषज्ञों के अनुसार, ‘‘भारत एक बिजली अधिशेष राज्य है क्योंकि इसकी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 3,44,000 मेगावाट है जबकि उसकी बिजली की अधिकतम मांग 1,70,000 मेगावाट तक ही है।
बिजली आपूर्ति में कमी की मुख्य वजह वितरण कंपनियों द्वारा बिजली खरीद कम करना है। इसकी दो वजह हैं या तो उनके पास बिजली खरीदने के पैसे नहीं है या वह बिजली बिलों की कम वसूली से डरे रहते हैं।’’
इसके अलावा बिजली आपूर्ति में कमी की एक और वजह सूदूर और पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली की पहुंच और वितरण कम होना है। रपट के अनुसार पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वोत्तर इलाकों में बिजली अधिशेष का प्रतिशत क्रमश: 1.9%, 14.8% और 22.9% रहेगा। हालांकि पूर्वी और दक्षिणी इलाकों को क्रमश: 4.2% और 0.7% बिजली आपूर्ति में कमी का सामना करना पड़ेगा।