जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, वर्द्धमान ने कठोर तप द्वारा अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर जिन अर्थात विजेता कहलाए. इन्द्रियों को जीतने के कारण वे जितेन्द्रिय कहे जाते हैं.यह कठिन तप पराक्रम के समान माना गया, इसलिए वे ‘महावीर’ कहलाए. हिन्दू और जैन पंचांग के अनुसार, जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के जन्म-दिवस के अवसर पर चैत्र महीने की शुक्ल-त्रयोदशी के दिन महावीर जयंती मनाई जाती है। यहां प्रस्तुत है उनके कुछ अनमोल विचार जो जीवन को सही दिशा दिखाते हैं –
- अनमोल विचार 1: किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जियो और दूसरों को भी जीने दो।
- अनमोल विचार 2: अहिंसा परमो धर्म अर्थात अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है। शांति और आत्म-नियंत्रण ही सही मायने में अहिंसा है।
- अनमोल विचार 3: आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ। और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ।
- अनमोल विचार 4: हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है। घृणा से मनुष्य का विनाश होता है। सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
- अनमोल विचार 5: सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर सुखी हो सकते हैं।
- अनमोल विचार 6: आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत। खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है। स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
- अनमोल विचार 7: प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता. आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है। किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है, और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
- अनमोल विचार 8: भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है। प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता. आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये।
- अनमोल विचार 9: ‘धम्मो मंगल मुक्किट्ठं. अहिंसा संजमो तवो’ अर्थात धर्म उत्कृष्ट मंगल है. वह अहिंसा, संयम, तप रूप है. एक धर्म ही रक्षा करने वाला है. धर्म के सिवाय संसार में कोई भी मनुष्य का रक्षक नहीं है.
- अनमोल विचार 10: ‘एगा धम्म पडिमा, जं से आया पवज्जवजाए’ अर्थात धर्म एक ऐसा पवित्र अनुष्ठान है जिससे आत्मा का शुद्धिकरण होता है. मनुष्य को अपने जीवन में जो धारण करना चाहिए, वही धर्म है।