बुज़ुर्गों का अकेलापन से दूर करने के लिए नाटूभाई चला रहे हैं मैरेज ब्यूरो!

नाटूभाई का मानना है प्यार किसी भी उम्र में हो सकता है। इसलिए समाज की परवाह न करते हुए वृद्ध लोगों को शादी कर लेनी चाहिए।  नाटूभाई 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र के लोगों को जीवनसाथी ढूँढने में मदद कर रहे हैं।

“अकेलापन धीमे जहर की तरह होता है। मुझे लगता है सभी को साथी की जरूरत होती है, खास तौर पर 50-60 की उम्र के लोगों को। अपना ख्याल रखने के लिए, बातें करने के लिए हमें किसी की जरूरत होती है। मुझे लगता है किसी का अपने जीवनसाथी के साथ होना उसकी उम्र को 5-10 साल तक बढ़ा सकता है। कई लोग बुढ़ापे में भी शादी करना चाहते हैं। उन्हें शादी करने का अधिकार भी है। लेकिन सामाजिक बाध्यता के कारण वो शादी नहीं करते हैं। मैं ऐसे लोगों को जीवनसाथी ढूँढने में मदद करना चाहता हूँ।“

‘वीना मूल्य अमूल्य सेवा’ एक अनोखा मैरेज ब्यूरो है, जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करता है। इसके जरिए मिलने वाले कई दंपत्ति आज एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

नाटूभाई योजना मंत्रालय के सेवानिवृत्त्त सुपरिटेंडेंट हैं। भुज में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान उनकी नियुक्ति कच्छ में थी। इस भूकंप में अपनो को खोकर कई लोगों की जिंदगी धाराशाई हो गई थी। नाटूभाई जिस तीन-मंजिला इमारत में रहते थे वो पूरी तरह ढह गई। इस हादसे में नाटूभाई नें अपने कई साथियों को खो दिया था।

उस दिन छुट्टी थी और मैं अपने घर अहमदाबाद गया हुआ था। इसलिए मैं बच गया। मैंने देखा कि अपने साथी को खो देने के बाद किस तरह लोगों की जिंदगी बिखर गई थी। तब मुझे इन लोगों के लिए कुछ करने का ख्याल आया। 2002 से मैं इस उद्देश्य के लिए काम कर रहा हूँ।

नाटू भाई

नाटू भाई 4 लोगों की टीम के साथ काम करते है। हर महीने दो सत्र में बैठक होती है। इन बैठकों में लोग एक दूसरे को जानते हैं और घुलते मिलते हैं।

इनमें से एक सत्र अहमदाबाद में ही होता है, जबकि दूसरा गुजरात के बाहर होता है। अब तक इंदौर, भोपाल, रायपुर, जयपुर, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, कश्मीर जैसी जगहों पर बैठक कर चुके हैं। बैठक के 7 से 10 दिन पहले नाटूभाई अखबारों में विज्ञापन देते हैं।

ये पूरे दिन का कार्यक्रम होता है। लोग एक दूसरे से बात करते हैं। VAMS की अगली बैठक दिल्ली पंजाब औऱ केरल में होने वाली है। बैठक में आने वाले शादी के इच्छुक लोगों को अपने साथ फोटो, बायोडाटा, और पहचानपत्र लाना होता है।

इसके अलावा नाटूभाई के पास व्यक्तिगत रूप से भी लोग अपने परिजनों के लिए रिश्ता ढूँढने आते हैं। नाटूभाई के पास लगभग 7,000 वरिष्ठ नागरिक, 10.000 और 1000 दिव्यांगो के बायोडाटा हैं।

VAMS में रिश्ता ढूँढ रहे लोगों का पंजीकरण होता है। उन्हें तलाक के कागज, साथी का मृत्युप्रमाण पत्र देना होता है। नाटूभाई इन वरिष्ठ नागरिकों से मिलकर उनकी समस्याएँ समझते हैं। इसके बाद अपने डाटाबेस से वो सही रिश्ता ढूँढकर लोगों को संपर्क में लाते हैं।

अब तक नाटूभाई 95 दंपत्तियों की शादी करा चुके हैं। 22 जोड़े लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं।

नाटूभाई ने नवम्बर, 2011 में पहले लिव-इन रिलेशनशिप सम्मेलन का आयोजन किया था। इसमें 300 पुरूष और 70 महिलाओं ने भाग लिया था। वे लोगों को बिना शादी किये साथ रहने का भी समर्थन करते हैं।

नाटूभाई को आमिर खान के शो सत्यमेव जयते में बुलाया गया था। इसके बाद से उनके काम को और प्रसिद्धि मिल गई।

इस मैरेज ब्यूरो की सेवाएँ पूरी तरह नि:शुल्क हैं। ये जाति, धर्म या राज्यों को तवज्जो नहीं देता है। हर साल 250 जोड़े VAMS की सहायता से पिकनिक पर जाते हैं। इनका खर्च भी ब्यूरो ही उठाता है।

“7000 बायोडाटा में से सिर्फ एक हजार बायोडाटा महिलाओं के हैं। 50 पार कर चुकीं महिलाओं को साथी ढूँढना समाज के लिए कलंक के समान है। मैं चाहता हूँ कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएँ समाज की रूढ़ियों को तोड़कर नए साथी के साथ नई पारी की शुरूआत करें। उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए बैठक में आने वाली महिलाओं की यात्रा का खर्च हम उठाते हैं।

नाटूभाई

52 साल की तारा अपनी माँ और बेटे के साथ रहती थीं। अपनी माँ के लिए साथी ढूँढने के उद्देश्य से तारा के बड़े बेटे ने नाटूभाई से संपर्क किया। 2012 में उनकी शादी 57 साल के धनकी जाधव से हो गई। एक अन्य व्यक्ति नाटूभाई के पास अपने ससुर के लिए रिश्ता ढूढने आए थे।

नाटूभाई कहते हैं, “मुझे खुशी होती है कि किस तरह एक नए सदस्य के आ जाने से परिवार में बड़ा बदलाव आ जाता है। किसी को माँ मिल जाती है, किसी को पिता तो किसी को सास-ससुर।

VAMS का काम लोगों से मिले दान से होता है। कुठ व्यक्तिगत प्रायोजक भी VAMS को आर्थिक सहायता देते हैं। नाटूभाई के काम में उनका पूरा परिवार सहयोग करता है।

नाटूभाई ने बताया कि शुरूआती दिनों में एक महिला आई थी जिसके तीन बेटे और दो बेटियाँ थीं। लेकिन, पति की मौत हो जाने के बाद पाँचों बच्चो में से कोई भी उनकी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था। वो अपनी बहन के साथ रह रही थीं औऱ वृद्धाश्रम जाने वाली थीं। उनकी बहन हमारे पास उनके लिए रिश्ता ढूँढने आई थीं।

शादी के बाद अब उनका अपना नया परिवार है। ये समाज की कड़वी हकीकत है कि बच्चे अपने माँ-बाप का ख्याल रखने के लिये तैयार नहीं हैं। इसलिए वृद्ध लोगों की शादी को हमें नीची नजरों से नहीं देखना चाहिए।

समाज की सोच तथा बुजुर्गो की ज़िन्दगी को बदलने की इस पहल से निश्चित ही समाज एक बेहतर दिशा में बढेगा !

(साभार – द बेटर इंडिया)

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