बंधुआ मजदूर के बेटे मधुसूदन राव आज है 20 कंपनियों का मालिक

समाज से निकले युवा सफलता की नई इबारतें लिख रहे हैं. कोई यूपीएससी टॉप कर रहा है तो कोई आज 20 से अधिक कंपनियों का मालिक है। यहां हम आपको बता रहे हैं आंध्रपदेश के प्रकाशम जिले में पैदा हुए मधुसूदन राव के बारे में जिनके संघर्ष और जज्बे के किस्से आज लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं –

मधुसूदन के पिता किसी जमाने में बंधुआ मजदूरी किया करते थे। इसके एवज में उन्हें जमींदार से सिर्फ भोजन मिला करता था। कई बार काम पर न जाने की हालत में भूखा भी सोना पड़ता था। वे बताते हैं कि दलित समाज से ताल्लुक रखने की वजह से उनकी परछाई को भी अपशकुन माना जाता था। वे इन भयावह परिस्थितियों में भी डटे रहे और पढ़ाई जारी रखी. किसी-किसी तरह 12वीं पास की और नौकरी पाने की चाह में पॉलीटेक्निक कर लिया।

उनके पॉलीटेक्निक करने के पीछे तो यही मंशा थी कि उन्हें जल्द से जल्द नौकरी मिल जाए, लेकिन अफसोस कि उनसे हर जगह रिफरेंस मांगा जाता था। उनके घर के सदस्यों की शिक्षा का हवाला देकर उन्हें नौकरी से दूर रखा जाता। आखिर में वे हताश-निराश हो कर भाई के साथ मजदूरी करने लगे। इसके अलावा वे चौकीदारी का भी काम किया करते थे ताकि ओवरटाइम काम करके वे घर वालों का खर्चा चला सकें।

गांव और शहर में यही तो बेसिक फर्क है. गांव में पले-बढ़े लोग हमेशा गांव वापस लौटना चाहते हैं. हो सकता है कि कई बार वे शुरुआती दिक्कतों से दो-चार हों लेकिन वे जरूर वापस लौटना चाहते हैं। मधुसूदन भी कुछ ऐसे ही मिजाज की शख्सियत हैं। वे लगातार सफल होने के लिए संघर्ष करते रहे और इस क्रम में वे कई बार धोखे के भी शिकार हुए।
एक बार तो वे बिल्कुल से ही खाली हो गए। उन्होंने जिनके साथ मिल कर कंपनी खोली थी वे सारा फायदा लेकर चंपत हो गए।

अलग-अलग लोगों के साथ काम करने की वजह से वे इस बात को समझ चुके थे कि चुनिंदा लोगों पर ही विश्वास किया जाना चाहिए. वे दिन भर में 18 घंटे तक काम करते हैं और उनकी पत्नी हमेशा परछाई की तरह साथ रहती हैं। वे आज एमएमआर ग्रुप  के संस्थापक हैं और इसके अंतर्गत 20 से अधिक कंपनियां आती हैं।
वे अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं और हर दुविधा की घड़ी में उन्हें ही याद करते हैं। वे आज हजारों युवाओं को रोजगार देने का काम कर रहे हैं और भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी प्रतिभा और जज्बे के मुरीद हैं.

 

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