बंगलुरु में शुरू हुआ एशिया का पहला फूड ट्रक, जिसमें सभी सदस्य हैं महिलाएँ

आज कल भारत के कई शहरों में फूड ट्रक्स का प्रचलन जोरों पर है, क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, बगैर किसी मशक्कत के।ऐसे ही एक फूड ट्रक की शुरुआत पिछले सप्ताह बंगलुरु में की गयी, जिसका नाम ‘सेवेन्थ सिन’ रखा गया। इस फूड ट्रक की खासियत ये है, कि यह एशिया का पहला ऐसा फ़ूड ट्रक है,जिसकी सभी सदस्य महिलाएँ हैं।

‘सेवेन्थ सिन हॅास्पिटैलिटी सेवा’ की संस्थापिका अर्चना सिंह हैं। इस तरह के फूड ट्रक की स्थापना का ख्याल उनके दिमाग में दो साल पहले आया। उन्होंने इस हॅास्पिटैलिटी सेवा का नाम ‘सेवेन्थ सिन’, ईसाई धर्म के’ कार्डिनल सिन’ के नाम पर रखा और इसी आधार पर उनका मेनू भी है, जिसे देखकर ग्राहकों को भी कुछ शरारत जरूर सूझेगी। इस फूड ट्रक सर्विस के सभी कार्य, जैसे की, ट्रक चलाना, हिसाब किताब संभालना, साफ-सफाई और खाना पकाना महिलाओं द्वारा ही किया जाता है।

सेवेन्थ सिन की संस्थापिका अर्चना सिंह ने इण्डिया फूड नेटवर्क को बताया कि वह हमेशा ही से ऐसी इन्सान बनना चाहती थीं, जो महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराए। वे मानती है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर होना चाहिए, चाहे वह किसी भी सामाजिक-आर्थिक परिवेश की हो।

उन्होंने अपने पकवानों का नाम “ग्लोकल” रखा है, जिसका मतलब है कि इस रसोई में आपको पूरी दुनिया का स्वाद मिलेगा, लेकिन भारतीय स्वाद के साथ लपेटकर। चिकन टिक्का पास्ता, मलाई वेजी रिसोटो, क्वेसडिला विद चेटीनाड साइड्स और इण्डो-पैन एशियन राइस जैसे व्यजंन उनके मेनू का हिस्सा हैं। अर्चना अपने काम के जरिए सामाजिक बदलाव के लिए प्रयासरत हैं। एक तरफ जहाँ सेवेन्थ सिन में नियुक्त किये गए शेफ्स (बावर्ची) जाने -पहचाने ब्राण्ड्स के साथ काम कर चुके हैं, वहीं अन्य महिला स्टाफ में ऐसी महिलाओं को नियुक्त किया गया है, जो समाज के कमजोर तबक़े से जुड़ी हैं।

वे सप्ताह में तीन दिन काम करती हैं और सातवें दिन मंदिर,गुरुद्वारे,चर्च और मस्जिद में नि:शुल्क  भोजन उपलब्ध कराती हैं। अपने नारी सशक्तिकरण के सूत्र को विस्तृत करने के लिए वे हर बुधवार को ‘महिला दिवस’ के रुप में मनाती हैं, जिसमें सामान्य दरों पर मेनू में कुछ खास व्यजंन भी दिए जाते हैं।

(साभार – द बेटर इंडिया)

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