ब्यूनस आयर्स.पांच बार फीफा के वर्ल्ड बेस्ट फुटबॉलर रहे अर्जेंटीना के लियोनेल मैसी ने रिटायरमेंट का फैसला वापस लेने का एलान कर दिया है। 29 साल के मैसी ने देश के दबाव में ही जून में रिटायरमेंट का फैसला लिया था। अब देश से ‘प्यार’ की वजह से ही नेशनल टीम में वापसी का एलान किया है। बता दें कि बार्सिलोना के इस फॉरवर्ड प्लेयर की कोपा अमेरिका टूर्नामेंट के फाइनल में चिली के खिलाफ खराब परफॉर्मेंस रही थी। इसी के बाद उन पर रिटायरमेंट का दबाव बढ़ा था। मैसी ने कहा- मैं समस्या नहीं बनना चाहता…
मैसी ने कहा कि वे अपने देश का प्रतिनिधित्व जारी रखना चाहते हैं, क्योंकि अंदर रहते हुए मदद करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ”मेरे विचार से अर्जेंटीना फुटबॉल में काफी दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन मैं एक और समस्या नहीं बनाना चाहता। मैं देश में फुटबॉल की अंदर रहकर मदद कर सकता हूं, न कि बाहर से आलोचना करके।” ”कोपा अमेरिका के फाइनल की रात मेरे मन में बहुत सारी चीजें चल रही थीं और फिर मैंने रिटायरमेंट के बारे गंभीरता से सोचा, लेकिन अपने देश और इस जर्सी के लिए मेरा प्यार बहुत ज्यादा है।” जून में जब मैसी ने रिटायरमेंट का एलान किया था तो अर्जेंटीना के प्रेसिडेंट मौरीसियो मैक्री और मैसी के आइडल डिएगो मैराडोना ने भी उनसे फैसले पर दोबारा सोचने की गुजारिश की थी। बता दें कि इस स्टार फुटबॉलर मैसी की 1 साल की कमाई 543 करोड़ रुपए है। यानी 1.5 करोड़ रोज।
वर्ल्ड कप से ठीक पहले होगी वापसी
मैसी को वर्ल्ड कप-2018 में उरुग्वे और वेनेजुएला का सामना करने के लिए नए कोच एडगार्डो बाउजा की टीम में नॉमिनेट किया जाएगा। इसके लिए साउथ अमेरिकन क्वालिफायर सितंबर के पहले हफ्ते में होगा। बाउजा ने कल बार्सिलोना में टीम के कप्तान से मुलाकात की थी।
मैसी ने क्यों लिया था रिटायरमेंट?
2008 बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना अर्जेंटीना की जर्सी में मैसी के लिए सबसे बड़ी कामयाबी रही थी।
लेकिन कोपा अमेरिका के फाइनल में चिली से पेनल्टी शूटआउट में मिली हार से वे मायूस थे। इससे पहले वे दो बार कोपा अमेरिका और एक बार वर्ल्ड कप में टीम को फाइनल तक ले गए थे, पर वहां भी हार गए थे।
जून में रिटायरमेंट के एलान से तीन दिन पहले ओलिंपिक के लिए घोषित नेशनल टीम में भी उन्हें जगह नहीं मिली थी। उस दिन उनका 29वां जन्मदिन भी था।
मैसी के आलोचक भी मानते हैं कि अगर उनके नाम वर्ल्डकप और कोपा अमेरिका खिताब होता तो वे ऑल टाइम ग्रेट फुटबॉलर कहलाते।
स्किल के लिहाज से उन्हें ब्राजील के पेले (3 वर्ल्डकप) और हमवतन माराडोना (1 वर्ल्डकप) के बराबर रखा जाता है।
लेकिन अर्जेंटीना के लिए एक भी बड़ा खिताब नहीं जीत पाने के कारण वे ग्रेटेस्ट फुटबॉलर की होड़ में पिछड़ गए।