जम्मू के नगरोटा आर्मी बेस में हुए दो बड़े आतंकी हमले में 7 जवानो समेत 2 अफसर शहीद हो गए और 8 जवान घायल हुए। पर ये हादसा और भी भयावह हो सकता था यदि सेना के दो अफसरों की पत्नियों ने हिम्मत न दिखाई होती।
एनकाउंटर के दौरान जब ये आतंकी आर्मी क्वार्टर्स में घुसने की कोशिश कर रहे थे तो इन दो महिलाओं ने अपनी सूझ बुझ और दिलेरी से इन्हें रोका। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हमले के दौरान ये दोनों महिलायें अपने नवजात शिशुओं के साथ अपने क्वार्टर में मौजूद थी। हमले की जानकारी होते ही इन दोनों ने घर का सारा सामान इकठ्ठा किया और आर्मी क्वार्टरर्स के मुख्य दरवाज़े के आगे लगाकर आतंकियों के क्वार्टर्स में घुसने का रस्ता बंद कर दिया।
हथियारों से लैस ये आतंकी पुलिस की वर्दी में आये थे। आर्मी हेडक्वार्टर से 3 किमी दूर एक आर्मी यूनिट पर इन आतंकियों ने सबसे पहले हमला किया। इसके बाद इनका इरादा आर्मी क्वार्टर्स में घुसने का था ताकि ये आर्मी अफसरों के परिवार वालो तथा कुछ अफसरों को भी बंदी बना सके।
पीटीआई से बात करते हुए एक सेना के अफसर ने कहा, “सेना के इन दो अफसरों की पत्नियों ने उस वक़्त अपने अदम्य साहस का परिचय दिया जब हमले के दौरान इनके पति नाईट ड्यूटी पर थे। उन्होंने आर्मी क्वार्टर्स के मुख्य द्वार पर घर का सारा सामान रखकर रस्ता बंद कर दिया। इससे आतंकवादियों के लिए घर में दाखिल होना मुश्किल हो गया।”
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष मेहता के मुताबिक, हमले के वक्त दो इमारतों में बने फैमिली क्वार्टर्स में 12 जवान, दो महिलाएं और दो बच्चे मौजूद थे। बाद में सिक्युरिटी फोर्सेस ने इन सभी को सुरक्षित वहां से निकाल लिया।