देवों में प्रथम पूज्य है श्रीगणेश

एक बार श्रीगणेश और उनके बड़े भाई कार्तिकेय माता पार्वती और शिव के पास पहुंचे। गणेशजी बुद्धि और कार्तिकेय बल में किसी से कम नहीं थे। ऐसे में सर्वश्रेष्‍ठ कौन है, इसका पता करने के लिए भगवान शिव ने एक परीक्षा ली।

उन्‍होंने कहा कि जो सात बार धरती की परिक्रमा करके लौटेगा वह सर्वश्रेष्‍ठ और सर्वपूज्‍य होगा। परीक्षा शुरू होते ही देवताओं के सेनापति व मंगल ग्रह के स्वामी कार्तिकेय अपने वाहन मोर को लेकर

शीघ्रता से चले गए, लेकिन गणेश जी परेशान हो गए। उन्होंने अपने वाहन चूहे को देखा तो सोचा कि ऐसे तो मैं हार जाऊंगा।तभी उन्हें ध्यान आया कि माता धरती से बड़ी और पिता आकाश से भी ऊंचा होता है। बस तत्काल उन्होंने अपने माता-पिता की परिक्रमा शुरू कर दी।

इस तरह बुद्धि के स्वामी और ज्योतिष शास्त्र के प्रणेता गणेशजी ने यह बाजी जीत ली। विघ्‍नों से मिलेगी मुक्‍ित

अगर कोई व्यक्ति सुबह बिस्तर से उठने से पहले गणेश के 12 नाम- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र और गजानन आदि नाम लेकर दायां पैर धरती पर रखता है, तो उसे हर प्रकार के विघ्नों से मुक्ति मिलेगी।

गजानन के इन नामों को जपने से संकट तत्काल भाग खड़ा होता है। गण का अर्थ है वर्ग, समूह और समुदाय तथा ईश का अर्थ है स्वामी। शिवगणों और गण देवों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणेश कहा जाता है। आठ वसु, ग्यारह रुद्र और बारह आदित्य ही गणदेवता कहलाते हैं।

 

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