छठ पूजा में छठ का प्रसाद चूल्हे पर बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. व्रती खरना का प्रासद जैसे गुड़ की खीर , ठेकुआ और रोटी नए चूल्हे पर ही बनाते हैं। इसके पीछे ये मुख्य कारण और मान्यताएं हैं…
इसके अलावा अर्घ्य वाले दिन भी छठी मैय्या के लिए ठेकुआ, पूरी आदि प्रसाद नए चूल्हे पर ही बनाया जाते हैं।
कथित तौर पर इस दिन चूल्हे पर खाना बनाने की कई मान्यताएं जुड़ी है. मान्यता है कि जिस चूल्हे पर छठ का प्रसाद बनता है उसपर इससे पहले खाना नहीं बना होना चाहिए. यानी चूल्हा नया होना चाहिए और प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ी ही जलाई जाती है।
आमतौर पर हम घर में जिस चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं उसमें प्याज-लहसुन या मांसाहार वाली चीजें बनी होती हैं. तो इसलिए इसपर छठ का प्रसाद नहीं बनाया जाता।
छठ में ऐसे चूल्हे या बर्तन का प्रयोग करना चाहिए जिसमें पहले कभी नमक वाली चीजें न बनी हों.
इसके अलावा छठ का प्रसाद हमेशा घर के बाहर छत पर या आंगन में खुले जगह पर बनाना चाहिए।
जहां प्रसाद बनाएं उस जगह को पानी से अच्छे से साफ कर लेना चाहिए. अगर मिट्टी की जगह पर चूल्हा बना रहे हैं तो इस जगह को गाय के गोबर से लीप लें।
अगर आपने छठ पर मिट्टी का चूल्हा नही बनाया तो बाजार से टीन का परंपरागत चूल्हा भी खरीद कर इस पर प्रसाद बना सकते हैं।
इसके अलावा तीन ईट को चूल्हे आकार में रख कर भी प्रसाद बनाया जा सकता है।
(साभार – पकवान गली)