घर से कार्यस्थल तक, नहीं होगा एचआईवी पीड़ित के साथ भेदभाव, बिल में बदलाव को मंजूरी

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने एचआईवी और एड्स बिल, 2014 में बदलावों को मंजूरी दे दी है। नया ड्राफ्ट एचआईवी/एड्स पीड़ितों के लिए सेफगार्ड्स की तरह काम करेगा। बिल अगर कानून बनता है तो शिकायत मिलने पर उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी जो एड्स पीड़ितों भेदभाव करते हैं। बदलावों में ये बातें शामिल…

– बिल के नए ड्राफ्ट में भेदभाव के कई आधारों को शामिल किया गया है। इसमें एचआईवी पॉजिटिव और उनके साथ रहने वालों के साथ किए जाने वाले बुरे बर्ताव को रोकने की कोशिश की गई है।
– साथ ही उन्हें इम्प्लॉइमेंट, एजुकेशन, हेल्थ केयर सर्विसेस, प्रॉपर्टी, पब्लिक या प्राइवेट ऑफिस और इंश्योरेंस में सामान्य लोगों की तरह फैसिलिटी दिए जाने की बात कही गई।
– कैबिनेट की मीटिंग के बाद जारी बयान में कहा गया है कि नौकरी पाने, इलाज कराने या किसी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में दाखिले के लिए एचआईवी टेस्ट कराना गलत होगा।

नए ड्राफ्ट में ये भी सिफारिशें
– बिल में किए गए अमेंडमेंट्स के मुताबिक, ‘किसी भी शख्स को एचआईवी स्टेटस बताना जरूरी नहीं होगा। अगर ये जरूरी होगा तो ये कोर्ट के ऑर्डर से तय होगा।’
– प्रपोजल के मुताबिक, ‘एचआईवी से पीड़ित या प्रभावित कोई शख्स 18 साल से कम उम्र का है तो उसे किसी के साथ घर और सारी फैसिलिटी शेयर करने का हक होगा।’
– ‘किसी को भी ऐसी कोई जानकारी छापने या उसे सपोर्ट करने का अधिकार नहीं होगा जिससे एचआईवी पीड़ित या उसके साथ रह रहे लोगों की भावनाओं को ठेस लगे।’

नाबालिगों के लिए भी प्रोविजन
– ड्राफ्ट के मुताबिक, 12 से 18 साल के ऐसे बच्चे जो एड्स पीड़ित या उससे प्रभावित परिवार की तकलीफ समझते हैं, उन्हें अन्य नाबालिगों के गार्जियन बनने का हक होगा।
– ये प्रोविजन किसी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में दाखिले, बैंक अकाउंट्स खुलवाने, प्रॉपर्टी और इलाज के लिए होगा।

 

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