नई दिल्ली. मोटरकोट्स इंडिया द्वारा कारों को ग्लैमरस बनाने के बिजनेस में कदम रखने वाले हरमीत सिंह की कहानी उनके हाथ से एक सेलफोन के टूटने से शुरू हुई थी। यह सेलफोन उनके दोस्त का था। फरीदाबाद के एनआईटी मोहल्ले में जन्मे हरमीत सिहं एक लोअर मीडिल सिख फैमली से हैं। उनके पिता फरीदाबाद में एक वर्कशॉप चलाते थे। हरमीत ने अपने बचपन में कई बार पिता के इस वर्कशॉप में काम किया। आज उनकी अलग-अलग कंपनियों में लगभग 200 लोग काम कर रहे हैं।
घर की आर्थिक स्थितियां कुछ ऐसी थीं कि हरमीत अपनी पढ़ाई 10वीं से आगे नहीं बढ़ा पाए। दिल्ली के करोलबाग मार्केट में एक छोटी सी मोबाइल रिपेयरिंग शॉप में नौकरी भी करनी पड़ी। हरमीत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘मेरे हाथ से एक दोस्त का सीमन्स का काफी महेंगा सेलफोन टूट गया। पूरा फरीदाबाद घूमा, लेकिन वह बन नहीं पाया। इसके बाद किसी ने बताया कि दिल्ली के करोलबाग में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकानें हैं। दिल्ली गया तो वहां मेकैनिक ने दो हजार रुपए मांगे। इतने पैसे मेरे पास थे नहीं, लेकिन मोबाइल बनवाना भी जरूरी था। पिताजी से इतने रुपए मांग नहीं सकता था, क्योंकि जानता था कि उनके पास भी एक साथ इतने पैसे नहीं मिल पाएंगे।
इधर-उधर से रुपए जमा करने के लिए 20 दिन लग गए। मोबाइल तो बन गया, लेकिन उसी दिन से ठान लिया कि अब कोई मोबाइल खराब होगा तो खुद ही बनाऊंगा।’
– घटना के बाद से ही हरमीत को धुन सवार हो गई कि वे मोबाइल टेक्नोलॉजी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करें। वे दोस्तों के खराब मोबाइल लेते उन्हें खोलते और इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करते। कई बार ऐसा होता कि थोड़ी बहुत धूल साफ करने से मोबाइल की खराबी दूर हो जाती। इस दौरान एक दोस्त का सेलफोन खराब हो गया तो उन्हें एक आइडिया सूझा। उन्होंने आईसी पर कुछ खास निशान लगाए और फिर उसे मेकैनिक को दिया। जब सेलफोन बनकर आया तो वे जान गए कि उसमें क्या बदला गया है। उनकी दिलचस्पी देखकर एक जान पहचान वाले ने उन्हें जालंधर में अपनी दुकान खोलने के लिए कहा। इस तरह उनकी पहली दुकान जालंधर में खुली, जहां उस समय काफी एनआरआई आया करते थे। दिल्ली के करोलबाग में उनका आना जाना काफी बढ़ गया था। यहां उन्हें एक दुकान में नौकरी मिल गई। जालंधर की अपनी दुकान एक दोस्त को देकर वे दिल्ली चले आए। इस दौरान उन्होंने किस्तों पर एक कंप्यूटर भी खरीद लिया और अलग-अलग तरह के सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के बारे में जानकारी मिलने लगे।
हरमीत करोलबाग में फोन अनलॉक करने के वाले स्पेशलिस्ट के तौर पर जाने लगे। सेलफोन के बाद उन्होंने सीसीटीवी कैमरा, ड्रोन और अब कारकोटिंग में कदम रखा। हरमीत ने मोबाइवाला.कॉम और जीएसएमफादर.कॉम पर उन्होंने अपना कारोबार चलाया। उन्होंने दिल्ली के बाद हैदराबाद में अपना स्टूडियो खोला है। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में वो मकान को खरीदा, जहां पर वो किराए पर रहा करते थे।