‘ एक साँझ कविता की-2 और बंगाल का नीलांबरी जादू

नीलांबर ने हावड़ा के शरत सदन में ‘ एक साँझ कविता की-2 ’ का आयोजन किया । कार्यक्रम के दौरान कविताओं को आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए प्रस्तुत किया गया साथ ही इसमें नृत्य और माइम का भी समावेश किया गया । इस अवसर पर भोपाल से आशुतोष दूबे, इंदौर से हेमंत देवलेकर, कानपूर से वीरू सोनकर और तथा कोलकाता से राज्यवर्द्धन, निशांत, उमा झुनझुनवाला तथा कल्पना ठाकुर ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया । दिल्ली की कवयित्री रश्मि भारद्वाज किन्हीं व्यक्तिगत कारणों से नहीं आ सकीं थीं, उनकी कविताओं को ऑडियो विडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया गया । आमंत्रित कवियों की कविता पर ममता पांडेय, पूनम सिंह, नीलू पाण्डेय, मधु सिंह और प्रियंका सिंह ने अद्भूत कोलाज प्रस्तुत किया। अजय राय जी के गाए निराला के गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति हुई । वहीं उदय प्रकाश की कविता ‘औरतें’ पर सुशान्त दास द्वारा निर्देशित हृदय स्पर्शी माइम प्रस्तुत किया गया, इसमें चार वर्षीय स्नेहा ने अपने अभिनय से सभी का दिल जीत लिया । मंगलेश डबराल की कविता ‘तानाशाह’ का विडियो फिल्म प्रस्तुत हुआ । नीलांबर के इस आयोजन का लक्ष्य है कि हिन्दी साहित्य को विभिन्न विधाओं के साथ युक्त करके उन्हें लोकप्रिय बनाना। सोशल मीडिया पर नीलांबर के इस कार्यक्रम के बारे लोग उत्सुकता से चर्चा कर रहे है।

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राहुल शर्मा, अवधेश साह, पंकज सिंह, प्रदीप तिवारी, विशाल पांडेय, अभिषेक पांडेय एवं सुजीत राय ने अपने अपने योगदान से कार्यक्रम को संचालित किया। कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए  प्रो. शंभुनाथ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में इसे“अद्भुत और मार्गदर्शक” बताया । कवयित्री कल्पना ठाकुर ने कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि“अद्भुत तैयारी थी नीलाम्बर की। ग़ज़ब का टीम वर्क है। एक एक चीज़ करीने से सजाया हुआ।” कवि वीरू सोनकर ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में कहा कि ‘ हिन्दी बहुल क्षेत्र में इस तरह का सर्मपण हिन्दी कविताओं को लेकर नदारद है, नीलांबर का प्रयास अतुलनीय है और मैं बार बार इस कार्यक्रम में आना चाहूँगा।’ भोपाल के प्रसिद्ध ‘विहान ड्रामा वर्क्स’ के संस्थापक और कवि हेमंत देवलेकर ने कहा- ‘ये अनुभव को जिन्दगी भर के सहेज लिया है।’ राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात कवि आशुतोष दूबे ने कहा ‘नीलांबर द्वारा संजोयी गई कविता की इस दूसरी सांझ में काव्यानुभव एक कंपोज़िट अनुभव बनता है। यह बंगाल का नीलाबंरी जादू है।’नीलांबर के अध्यक्ष विमलेश त्रिपाठी ने कहा कि संस्था इसी तरह साहित्य के विभिन्न विधाओं पर नये तकनीकों के साथ साहित्य के लोकप्रियकरण हेतु प्रयास करता रहेगा। ज्ञात हो कि नीलांबर को बाहर से कोई आर्थिक सहयोग या अनुदान नहीं मिलता है, संस्थापक सदस्यों और सहयोगी सदस्यों के अनुदान पर ही सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। अंत में संजय जायसवाल ने सभी अतिथियों और श्रोता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।

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