इस महिला ने अपने देश में खाना फेंकने के खिलाफ छेड़ी मुहिम

आतंकवाद, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था, गरीबी, जातिवाद इन तमाम चीजों के बाद ये दुनिया एक और बड़ी समस्या से जूझ रही है और वो है ‘फूड वेस्टिंग की समस्या’। दुनिया में करोड़ो लोग आज भी खाली पेट सोते हैं। हममें से न जानें कितने लोग हैं जो प्लेट में रखी पूरी रोटी भी खत्म नहीं कर पाते, उसे छोड़ देते हैं और वो वेस्ट ही हो जाता है।  खाना वेस्ट करने से हो सकता है हममें से किसी को फर्क  न पड़ता हो, लेकिन रूस की ये महिला इस बात से बेहद दुखी होती थी।

खुद में बदलाव लाओ, जमाना बदल जाएगा

इसी कथन की तर्ज पर सेलिना जुल ने अकेले दम पर ही एक देश की खाने की आदतों में सुधार ला दिया। 

सेलीना खाने को खराब या वेस्ट होते देखती, तो उनका दिल बैठ जाता है। एक ऐसी दुनिया में जहां हर रात करोड़ों लोग भूखे सोते हों। वे फूड वेस्ट को अपराध से कम नहीं समझती हैं। शायद यही कारण था कि उन्होंने खाने की बर्बादी के खिलाफ़ कदम उठाने का फ़ैसला किया। उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि आज डेनमार्क में खाने की बर्बादी में 25 प्रतिशत की कमी हुई है। सेलीना एक ऐसे देश से आती हैं (रूस), जहां दो वक्त का खाना मिलना भी दुर्लभ होता है। सेलीना के मुताबिक, हमारे देश का इंफ्रास्ट्रक्चर चरमरा गया है। कम्युनिज्म की वजह से देश के हालात बिगड़ गए। हमारी प्लेटों में खाना अब चुनौती की तरह नज़र आ रहा था।

डेनमार्क में ऐसे कई सुपरमार्केट्स थे जहां खाद्य पदार्थों की प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी। इन फूड आइटम्स की तादाद इतनी ज़्यादा थी कि कई चीज़ें ख़राब हो जाती। ट्रक भर-भर कर इन्हें फिंकवाया जाता या कम्पाउंड में भेजा जाता। डेनमार्क के लोग भी शायद इसलिए ही खाने के प्रति संवेदनहीन थे।

उन्होंने डेनमार्क के हालातों को देखते हुए ही फूड वेस्टेज के खिलाफ़ खड़े होने का निर्णय लिया। उन्होंने इससे जुड़ा एक फ़ेसबुक पेज बनाया। इसके अलावा उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को फूड वेस्ट के प्रति जागरुक करने की कोशिश की। उन्होने लोगों को बताया कि कैसे छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखने से खाने को खराब होने से बचाया जा सकता है।

उन्होंने डेनमार्क की एक सुपरमार्केट चेन रेमा 1000 को अपने साथ लिया। सेलीना की बात मानते हुए इस सुपरचेन ने खाने की चीज़ों पर बड़ी तादाद वाले उत्पादों पर डिस्काउंट्स को ख़त्म ही कर दिया और अब सिंगल आइटम्स पर ही डिस्काउंट उपलब्ध थे।

उन्होंने कहा कि हम आज उन हालातों में नहीं हैं कि खाने के सामान को सड़ने दिया जाए और फिर उसे कूड़े में फिंकवा दिया जाए। खाने की बर्बादी का कारण भी लोगों की खाने के प्रति लापरवाही ही है। फ्रिज की वजह से भी कई खाद्य पदार्थ खराब हो रहे हैं। लोग फ्रेश करने के चक्कर में कई बार चीज़ों को लंबे समय तक फ्रिज में रखे रहते हैं। आखिरकार ये फू़ड आइटम्स पेट में जाने की जगह कूड़े में चले जाते हैं।

अपने इस मिशन को दुनिया के कई हिस्सों में फैलाना चाहती हैं। सेलीना ने चेतावनी दी कि अगर पूरी दुनिया में खाने के वेस्ट को लेकर जागरुकता नहीं बरती गई, तो जल्दी ही विश्व का फूड साइकिल हिल जाएगा। वे अब अपने इस मिशन को दुनिया के कई हिस्सों में फैलाना चाहती हैं। उनका मकसद है कि खाने के प्रति लोगों में संवदेनशीलता को ग्लोबल स्तर पर भी प्रमोट किया जाए।

उन्होंने एक संस्था की भी स्थापना की है जिसका नाम है Stop Spild Af Mad… डेनमार्क सरकार ने इस संस्था को फूड वेस्टेज के खिलाफ लड़ाई में अहम बताया। वे अब सेमिनार होस्ट करती हैं, वर्कशॉप चलाती हैं।

 

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