इनके हौसलों की उड़ान दिला रही तेजाब पीड़ितों को सही इंसाफ

कानपुर की पूजा के हौसलों की उड़ान आज देश भर की तेजाब पीड़ितों को सही इंसाफ दिला रही है। ग्वालटोली निवासी तेजाब पीड़िता पूजा गुप्ता समाज के सामने मिसाल बन गई हैं। पूजा की लड़ाई ने राज्य सरकार को एहसास कराया कि तेजाब पीड़ितों के प्रति उनकी भी कोई जिम्मेदारी है। पूजा की याचिका पर ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तेजाब पीड़ितों को मुआवजा और इलाज दोनों ही मुहैय्या कराने के आदेश दिए हैं। पूजा के चेहरे पर हक की लड़ाई जीतने की चमक नजर आई। पूजा के मुताबिक पापा हरीश ने अपनी परचून की दुकान का पूरा सामान बेच दिया। कर्ज भी लिया और किसी तरह उसका इलाज कराया। इसमें करीब 15 लाख का खर्च आया था। इसके बदले में उसे प्रोवेशन अधिकारी से सिर्फ 4 लाख 66 हजार 500 रुपये ही मिले। आज तक पिता और छोटा भाई कर्ज उतार रहे हैं। बकौल पूजा 2010 में उसका घर बसा, दो बच्चे भी हैं। जीवन में मिली इन खुशियों ने उसके तेजाब के दर्द को काफी हद तक कम कर दिया है, लेकिन कोर्ट के फैसले से उसे और उसकी जैसी कई तेजाब पीड़ित युवतियों के लिए उम्मीद जगी है। अब कम से कम पिता का कर्ज और उसके चेहरे से तेजाब का नामोनिशान तो मिट जाएगा। याचिका देने में दिल्ली में ह्यूमन राइट संस्था चलाने वाली शाहीन मलिक ने भी उनकी काफी मदद की है। पूजा के मुताबिक इसी माह की 12 तारीख को उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दी थी।

दीदी का देवर बना दुश्मन
पूजा ने बताया कि 2005 में इंटर पास कर गुमटी स्थित एक फोन कंपनी के आफिस में वह मामूली नौकरी कर रही थी। उसी दरम्यान बड़ी दीदी के देवर कपिल ने उस पर जबरन शादी का दबाव बनाया। दोनों के घरवाले इस रिश्ते के खिलाफ थे। पापा ने जब मेरी शादी हूलागंज में पक्की की तब कपिल ने घर आकर धमकाया कि उसका चेहरा खराब कर देगा। उसकी इस धमकी को नजरअंदाज करना भारी पड़ा। इसके अगले ही दिन 23 सितंबर जब वह आफिस जा रही थी, तभी कपिल स्कूटर से अपने एक साथी के साथ आया और शनिदेव मंदिर के पास उस पर तेजाब फेंककर भाग गया। कानून ने कपिल को सजा दी, लेकिन उससे न तो उसके चेहरे से तेजाब के निशान मिट सके और न ही पिता के सिर से पहाड़ से कर्ज का बोझ हट सका।
टूट चुकी पूजा को मिला संजय का सहारा
पूजा की कहानी भी सत्यम शिवम सुंदरम फिल्म की रूपा से कम नहीं है। बकौल पूजा कपिल की हैवानियत के पांच साल बाद तक दुपट्टे से चेहरा ढककर जीने से ऊब चुकी थी। कोई मेहमान घर आए तो वह उतना वक्त छत पर बेचैनी से चहलकदमी कर काटती थी। कर्ज में डूबे पिता और भाई का चेहरा देख मरने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी। ऐसे में दिल्ली के संजय उसके जीवन में भगवान बनकर आए। संजय से कई मुलाकातें कीं और जब भरोसा हो गया कि तब शादी की।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *